महिला RAS अधिकारी का लिव-इन रिलेशनशिप, माता-पिता ने लगाया लव जिहाद का आरोप

जयपुर में एक महिला RAS अधिकारी के अपने सहकर्मी, एक मुस्लिम अधिकारी, के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का मामला चर्चा में है। इस घटना ने न केवल परिवार को दुखी किया है, बल्कि सामाजिक और धार्मिक संवेदनशीलता को भी उजागर किया है। महिला के बुजुर्ग माता-पिता अपनी बेटी से मिलने की गुहार लेकर थाने पहुंचे, लेकिन बेटी ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया। माता-पिता ने इसे "लव जिहाद" का मामला बताते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। आइए, इस घटना को विस्तार से समझते हैं।
जयपुर की एक युवती, जो हाल ही में RAS अधिकारी के रूप में चुनी गई थीं, अचानक अपने घर से गायब हो गईं। परेशान माता-पिता ने शिप्रापथ थाने में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस जांच में पता चला कि युवती अपने ही बैच के एक मुस्लिम RAS अधिकारी, अमन खिलेदार, के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है। मंगलवार को जब पुलिस ने युवती की लोकेशन का पता लगाया, तो माता-पिता अपनी बेटी से मिलने के लिए शिप्रापथ थाने पहुंचे। भावुक होकर उन्होंने पुलिस से बेटी से बात करने की अनुमति मांगी, लेकिन युवती ने साफ तौर पर माता-पिता से मिलने या बात करने से इनकार कर दिया।
युवती का बयान और माता-पिता का दर्द
शाम को युवती स्वयं बजाज नगर थाने पहुंची और पुलिस को बताया कि वह अपनी मर्जी से अमन के साथ रह रही है। उसने स्पष्ट किया कि उसे किसी ने जबरदस्ती नहीं की और वह अब अपने माता-पिता के साथ कोई संपर्क नहीं रखना चाहती। यह सुनकर माता-पिता सदमे में आ गए। वे तुरंत बजाज नगर थाने पहुंचे, लेकिन बेटी के इस रुख ने उन्हें और भी तोड़ दिया। माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर उसका धर्म और संस्कृति छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है। उन्होंने इसे "लव जिहाद" का मामला बताते हुए पुलिस से गहन जांच की मांग की है।
लव जिहाद का आरोप और पुलिस का रुख
युवती के पिता ने FIR दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने अमन खिलेदार पर उनकी बेटी को योजनाबद्ध तरीके से बहकाने और उसकी धार्मिक पहचान को खतरे में डालने का आरोप लगाया। माता-पिता का दावा है कि यह मामला व्यक्तिगत रिश्ते से कहीं ज्यादा गंभीर है और इसके पीछे सुनियोजित मंशा है। हालांकि, पुलिस ने अभी तक "लव जिहाद" के दावों को खारिज किया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि युवती बालिग है और उसने अपनी मर्जी से यह रिश्ता चुना है। जांच में अभी तक किसी दबाव या जबरदस्ती के सबूत नहीं मिले हैं।
सामाजिक और कानूनी पहलू
यह मामला समाज में प्रेम, धर्म और परिवार के बीच तनाव को दर्शाता है। लिव-इन रिलेशनशिप भारत में कानूनी रूप से मान्य है, बशर्ते दोनों पक्ष बालिग हों और सहमति से साथ रह रहे हों। लेकिन जब यह रिश्ता धार्मिक सीमाओं को पार करता है, तो यह सामाजिक विवाद का कारण बन जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि परिवारों को संवाद के जरिए मतभेद सुलझाने चाहिए। इस मामले में माता-पिता का दुख और बेटी का फैसला दोनों ही भावनात्मक रूप से जटिल हैं। पुलिस ने इस मामले को संवेदनशीलता के साथ जांचने का आश्वासन दिया है।