भगवंत मान का बड़ा फैसला! AAP की सियासी जमीन पर खतरा, BJP में शामिल होने की अटकलें तेज
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पंजाब की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल की खबरें सुर्खियों में छाई हैं। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने दावा किया है कि आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक उनके संपर्क में हैं और दिल्ली के AAP नेताओं का पंजाब पर कब्जा हो गया है। यह दावा तब आया जब दिल्ली विधानसभा चुनावों में AAP की करारी हार के बाद पंजाब में पार्टी के भीतर अस्थिरता की चर्चाएं तेज हो गईं।
कांग्रेस के दावे और AAP का जवाब
प्रताप बाजवा ने आरोप लगाया कि AAP के 32 विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं और दिल्ली के नेताओं का पंजाब में हस्तक्षेप बढ़ गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि दिल्ली के नेता पंजाब में किस हैसियत से सक्रिय हो रहे हैं। बाजवा ने यहां तक कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान बीजेपी में शामिल हो सकते हैं और अगर उन्हें हटाने की कोशिश की जाएगी, तो वे बीजेपी का दामन थाम लेंगे।
हालांकि, AAP पंजाब अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने इन दावों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा, "अगर 32 विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं, तो आज कांग्रेस के 15 विधायक हैं... 47 होने पर भी सरकार नहीं बनती और हमारे 96 हैं, 32 चले भी गए तब भी सरकार नहीं गिरती।" अरोड़ा ने बाजवा पर तंज कसते हुए कहा कि वे मीडिया में बने रहने के लिए बिना सिर-पैर की बातें करते हैं।
केजरीवाल के पंजाब में मुख्यमंत्री बनने की संभावना
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि दिल्ली हार के बाद अरविंद केजरीवाल पंजाब की ओर रुख कर सकते हैं। बाजवा ने दावा किया कि केजरीवाल लुधियाना की खाली सीट से उपचुनाव लड़कर पंजाब के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की कि AAP के अंदर जल्द ही सत्ता संघर्ष छिड़ सकता है, जिसमें भगवंत मान और दिल्ली नेतृत्व के बीच खींचतान तेज हो सकती है।
AAP के अंदरूनी कलह और विधायकों के टूटने की चर्चा
कांग्रेस के दावों के बीच यह चर्चा भी तेज है कि AAP के करीब 35 विधायक पार्टी छोड़ने के लिए तैयार बैठे हैं। गुरदासपुर से कांग्रेस सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि दिल्ली हार के बाद पंजाब में AAP की भ्रष्टाचार से जुड़ी गतिविधियां उजागर होंगी, जैसे दिल्ली की शराब नीति घोटाले की तर्ज पर पंजाब का शराब घोटाला।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस अब AAP की कमजोर स्थिति का फायदा उठाने के लिए सक्रिय होगी। पार्टी का लक्ष्य उन मतदाताओं को फिर से जोड़ना है, जिन्होंने पिछले चुनाव में AAP को समर्थन दिया था। इसके लिए कांग्रेस अपनी अंदरूनी गुटबाजी खत्म कर राज्य इकाई में एकता बढ़ाने पर जोर देगी।