प्रवासियों को गांव छोड़ने के प्रस्ताव पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी…फिर फसलें कौन काटेगा?
खबर खास, चंडीगढ़: पंजाब के मोहाली जिले में स्थित गांव मुद्दू संगतियां की पंचायत ने कुछ दिन पहले एक प्रस्ताव पास करके कहा था कि प्रवासी लोग गांव में नहीं रहेंगे। इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। हालांकि अपने जवाब में पंजाब सरकार ने कहा है कि इस मामले …
खबर खास, चंडीगढ़:
पंजाब के मोहाली जिले में स्थित गांव मुद्दू संगतियां की पंचायत ने कुछ दिन पहले एक प्रस्ताव पास करके कहा था कि प्रवासी लोग गांव में नहीं रहेंगे। इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। हालांकि अपने जवाब में पंजाब सरकार ने कहा है कि इस मामले के निपटारे के लिए एक कमेटी बनाई गई है।
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दिया कि बनाई गई इस कमेटी में डीएसपी, तहसीलदार व गांव के गणमान्य लोगों को शामिल किया गया है, लेकिन इस मामले पर हाईकोर्ट ने सरकार और पंचायत पर सख्त टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने ऐसे कामों से बचने की सलाह दी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसे कामों से बचना चाहिए। कोशिश करें कि ऐसे विवादों को मिल बैठकर निपटा लिया जाए। अगर गांवों से प्रवासियों को निकाल देंगे तो फसलें कौन काटेगा। गांवों में किसान और मजदूर मिलकर काम करते हैं।
गौरतलब है कि एडवोकेट वैभव वत्स ने अदालत में इसके बारे में याचिका लगाई थी। इसमें कहा गया था कि संविधान इस बात की गरंटी देता है कि कोई भी नागरिक अपनी पसंसीदा जगह जाकर रह सकता है, लेकिन इस तरह प्रवासी मजदूरों को गांव से निकालकर उनके अधिकारों का एक तरह से हनन है। यह एक गंभीर मुद्दा है।
क्यों उठा प्रवासियों के गांव छोड़ने का मामला
बताया जा रहा है कि प्रवासी लोगों के गांव में रहने के कारण इलाके में आपराधिक और असामाजिक गतिविधियां बढ़ रही हैं। ज्यादातर मामलों में प्रवासी लोगों की संलिप्तता देखी गई है। इस लिए गांव वालों ने मजबूरी में यह प्रस्ताव पास किया था। ताकि उनकी पीढ़ी पर इन घटनाओं का गलत प्रभाव न पड़े। हालांकि इस मामले में लक्खा सिधाना भी कूद चुके हैं। उन्होंने ग्रामीणों के फैसले को सराहते हुए कहा है कि पूरे पंजाब में प्रवासी लोग आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं और फरार हो जाते हैं। पंजाब की सभी पंचायतों को यह फैसला लेना चाहिए।
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