राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई राजस्थान सरकार: सांपला

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राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई राजस्थान सरकार: सांपला

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जयपुर। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन विजय सांपला ने कहा कि राजस्थान सरकार दो दिवसीय राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक से पहले और उसके दौरान राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) द्वारा उठाए गए सवालों के संतोषजनक जवाब देने में विफल रही है।

आयोग के चेयरमैन सांपला गुरुवार को जयपुर में आयोग की दो दिवसीय राज्य समीक्षा बैठक के बाद पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ अत्याचार के मामलों में की गई कार्रवाई रिपोर्ट, उनके लिए विकास योजनाओं और कई अन्य महत्वपूर्ण मामलों के बारे में आयोग ने जानकारी मांगी थी लेकिन राजस्थान सरकार के उत्तर संतोषजनक नहीं थे। उन्होंने कहा, "इसके अलावा, राजस्थान सरकार अनुसूचित जातियों के आर्थिक और सामाजिक कल्याण के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के संबंध में आयोग को लाभार्थियों का ठोस डेटा और जानकारी भी नहीं दे पाई।”

उल्लेखनीय है कि 24 अगस्त को चेयरमैन विजय सांपला के नेतृत्व में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने राजस्थान सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), प्रमुख सचिवों और मंत्रालयों और विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में आयोग के उपाध्यक्ष अरुण हलदर, आयोग के सदस्य सुभाष रामनाथ पारधी और अंजू बाला सहित आयोग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

हालांकि, गुरुवार को विजय सांपला और एनसीएससी के अधिकारियों ने राजस्थान के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एससी समुदाय के खिलाफ अत्याचार के मामलों की समीक्षा की, जिसमें पुलिस या अदालत द्वारा एससी- एसटी अधिनियम के तहत दर्ज कर निपटाए गए थे | एनसीएससी ने पीड़ितों को मुआवजे के भुगतान और अतिरिक्त सहायता के साथ-साथ कानून के अनुसार उपलब्ध अन्य प्रावधानों की भी समीक्षा की।

मामलों की समीक्षा करने के बाद सांपला ने आगे कहा, “यह देखा गया है कि राजस्थान पुलिस और प्रशासन एससी पर हुए अत्याचार के मामलों में दोषियों और आरोपितों के खिलाफ आयोग के हस्तक्षेप तक उचित कार्रवाई नहीं करते हैं। राजस्थान सरकार को अपने राज्य में अनुसूचित जाति के लोगों को न्याय और सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करना चाहिए।”