बिना रुके और थके जरुरतमंदों के चेहरे पर खुशियां ला रही साईं की रसोई ने पूरे किए तीन साल

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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बिना रुके और थके जरुरतमंदों के चेहरे पर खुशियां ला रही साईं की रसोई ने पूरे किए तीन साल

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बेगूसराय। सदर अस्पताल आने वाले मरीज एवं उनके परिजनों समेत अन्य जरूरतमंदों को बेगूसराय में चाय से भी कम दाम मात्र पांच रुपये में भरपेट भोजन उपलब्ध कराने वाली टीम साईं की रसोई ने सोमवार की रात अपने सफलता के तीन वर्ष पूरे कर लिए। तीन वर्ष पूरे होने पर भोजन के मेनू को खास करते हुए जरूरतमंदों को पुड़ी, मटर पनीर की सब्जी, पुलाव, तड़का, रायता एवं खीर कदम मिठाई परोसा गया।

मौके पर मौजूद लोगों ने कहा कि जरूरतमंदों के लिए जब भी समय के हिसाब से जरूरत पड़ी है, तब-तब साईं की रसोई मजबूती से खड़ी रही। साईं की रसोई सिर्फ भोजन ही उपलब्ध नहीं कराती है, बल्कि प्राकृतिक आपदा के समय भी जरूरतमंदों की मदद कई स्तर पर करती रही है। बाढ़ के समय बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जाकर पका हुआ भोजन, सूखा भोजन, दवाइयां समेत कई प्रकार से राहत पहुंचाना हो या कोरोना जैसे महामारी में राशन और पका हुआ भोजन वितरण हो।

जरूरतमंद परिवार की बेटी की शादी हो या किसी पर्व त्योहार का अवसर हो, हर समय मदद को तैयार साईं की रसोई टीम मुस्तैदी से सामाजिक कार्यों में लगी हुई है। यही कारण है कि रसोई किसी परिचय की मोहताज नहीं रही, किए गए सही कार्यों के वजह से आज जिले ही नहीं, बाहर के लोगों का भी लगातार सहयोग रसोई को प्राप्त हो रहा है। टीम के सदस्य जरूरतमंदों के लिए हरेक स्तर के कार्यों के लिए सदैव आगे रहते हैं। जरूरतमंद को रक्तदान के क्षेत्र में भी मदद करने में सदैव आगे रहे हैं।

रसोई टीम के खाद्यमंत्री पंकज, सदस्य ज्ञान, रौनक एवं वैभव ने बताया की जागरूक लोग अपने जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ, परिजनों की पुण्य स्मृति में किसी ना किसी दिन साईं की रसोई का खर्च उठा लेते हैं। भोजन करने वाले से पांच रुपया इसलिए लिए जाते हैं की किसी को यह ना लगे कि उसे भीख में भोजन दिया जा रहा है। भोजन के मूल्य को समझने के साथ ही यह प्रतीकात्मक होता है। टीम के विक्की भाटिया, अंकित शर्मा एवं प्रभाकर प्रताप ने बताया साईं की रसोई की सबसे बड़ी खासियत है भोजन की क्वालिटी, यहां जो भी भोजन लोगों को परोसा जाता है, वह स्वादिष्ट होने के साथ ही साथ पौष्टिक भी होता है।

नितेश रंजन, संतोष सोनी एवं गौरव मित्तल ने बताया मौजूदा समय में बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्हें एक वक्त का भोजन भी बहुत मुश्किल से नसीब होता है। हमारे देश में लाखों लोग दो जून की रोटी की व्यवस्था करने में भी नाकाम हो जाते हैं। मजबूरी और गरीबी की वजह से लोगों को भूखे पेट ही सोना पड़ जाता है। इसी सोच के साथ बेगूसराय शहर में शुरू की गई साईं की रसोई का मंत्र है कोई भूखा ना सो जाए।

टीम के अमित, शैलेन्द्र, सुमित, कुंदन एवं संदीप ने बताया कि हर किसी के लिए भोजन बहुत ही जरूरी है। भोजन के बिना हम लोग जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। भोजन पेट को भरता है तो शरीर को ऊर्जा भी भोजन से ही मिलती है, जिससे हम काम करते हैं और यह मांसपेशियों को मजबूत करता है। अगर हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखना है तो भोजन इसके लिए बहुत ही जरूरी है।

उल्लेखनीय है कि आज लोग जहां सामाजिक कार्यों के लिए सरकारी फंडिंग की ओर ध्यान लगाये रहते हैं। लेकिन, बेगूसराय में साईं की रसोई के माध्यम से 29 अगस्त 2019 से जरूरतमंद गरीब लोगों को चाय से भी कम दाम पांच रुपये में भरपेट भोजन कराने की व्यवस्था कराई तथा यह व्यवस्था जाड़ा, गर्मी, बरसात में भी सब दिन लगातार चल रहा है। सदर अस्पताल के बाहर चल रहे इस रसोई में मरीज एवं उनके परिजनों के साथ आम मेहनतकशों को सस्ते दर पर भोजन मुहैया कराया जा रहा है।

हर स्थिति-परिस्थिति में बिना थके बिना रुके निर्बाध रूप से जारी है टीम के सेवाभाव ने ना केवल पहचान बनाई, बल्कि उपहारस्वरूप पौधा देने की परिपाटी शुरू किया। भोजन के अलावा जरूरतमंद परिवार के बेटी की शादी, रक्तदान, पर्यावरण संरक्षण एवं पुस्तक दान समेत कई तरह से जरूरतमंदों की मदद में टीम हमेशा आगे रहती है।