समाज निर्माण में महिलाओं की अहम भूमिका : कुलसचिव केंद्रीय विवि

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समाज निर्माण में महिलाओं की अहम भूमिका : कुलसचिव केंद्रीय विवि


समाज निर्माण में महिलाओं की अहम भूमिका : कुलसचिव केंद्रीय विवि


केंद्रीय विवि की स्पर्श समिति द्वारा संगोष्ठी का आयोजन

धर्मशाला, 12 अगस्त (हि.स.)। अमृत महोत्सव के क्रम में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्पर्श समिति द्वारा “आजादी के 75 वर्ष बाद भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति” विषय को लेकर शुक्रवार को एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. विशाल सूद ने बतौर मुख्यवक्ता कहा कि भारत में स्त्रियां सदैव पूजनीय रही हैं। वर्तमान समय में स्त्रियां कंधें से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में पुरूषों की बराबरी कर रही हैं। समाज निर्माण में महिलाओं की भूमिका उल्लेखनीय है। साथ ही उन्होंने स्त्रियों के लिए केंद्र द्वारा चलाई जा रही सरकारी योजनाओं की भी विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की स्पर्श समिति की अध्यक्ष डॉ. गीतांजली उपाध्याय द्वारा स्वागत वक्तव्य दिया गया।

कार्यक्रम के दौरान आजादी के 75 वर्षों बाद भारतीय समाज के विकास में स्त्रियों की भूमिकाएं तथा योगदान के साथ-साथ उनके बदलते स्वरूप पर विचार-विमर्श किया गया। विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. मनोज सक्सेना ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में स्त्रियों को निर्णय लेने की क्षमता के प्रति और सशक्त होने की जरूरत है। विवेकानंद जी का मानना था कि किसी भी समाज को या राष्ट्र को समझना हो तो वहां के समाज में स्त्रियों की स्थिति से समझा जा सकता है।

कार्यक्रम में भाषा संकाय के अधिष्ठाता डॉ. बृहस्पति मिश्र ने भारतीय समाज में स्त्रियों के बदलते स्वरुप तथा उनके क्रमिक विकास पर प्रकाश डाला। सहायक आचार्य राजनीति विज्ञान एवं स्पर्श समिति की सम्मानित सदस्य ज्योति पराशर ने आजादी के आंदोलन में महिलाओं की भूमिकाओं तथा राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान पर विचार-विमर्श किया। इसी श्रृंखला की अगली कड़ी में हिंदी विभाग से डॉ. चंद्रकांत द्वारा संगोष्ठी विषय पर विचार रखते हुए साहित्य में महिला लेखिकाओं ने किस प्रकार लेखनी के माध्यम से अपना योगदान निभाया है उस पर भी उन्होंने अपने विचार व्यक्त किये।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/उज्जवल