कांग्रेस के हित भारत के विरोधियों से खाते हैं मेल : पूर्व उपमुख्यमंत्री

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कांग्रेस के हित भारत के विरोधियों से खाते हैं मेल : पूर्व उपमुख्यमंत्री


कांग्रेस के हित भारत के विरोधियों से खाते हैं मेल : पूर्व उपमुख्यमंत्री


जम्मू, 9 अगस्त (हि.स.)। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ज्यादा कुछ नहीं करने के लिए आरएसएस के खिलाफ अपनी टिप्पणी पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री कवीन्द्र गुप्ता ने कहा कि सबसे पुराने राजनीतिक दल की नीतियों और गलत कदमों ने देश को नष्ट कर दिया और देश को कई हिस्सों में विभाजित कर दिया।

पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 1947 के बाद से देश को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए देश की जनता के सामने एक ही विकल्प है और वह है कांग्रेस मुक्त भारत क्योंकि यदि इन्हे दोबारा मौका दिया तो देश को और छोटे टुकड़ों में बंटेगा। इस पार्टी का एकमात्र उद्देश्य वंशवाद की राजनीति को बनाए रखना है और कुछ समय के लिए बिना सोचे समझे सत्ता में रहना है।

विवादास्पद अनुच्छेद 370 के बारे में बात करते हुए, कवीन्द्र ने कहा कि इसे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नेकां के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के साथ मिलकर देश के राष्ट्रवादी लोगों पर इसके प्रभाव पर विचार किए बिना कार्यान्वित किया था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रजा परिषद ने इस मुद्दे को मुखरता से उठाया लेकिन कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए इस सही मांग को खारिज कर दिया और गलत कदम पर मुहर लगा दी। हालांकि मोदी सरकार ने कई दशकों के बाद 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को रद्द कर उनकी इस गलती को सही किया है।

उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू के कदम के खिलाफ, जम्मू-कश्मीर में प्रजा परिषद ने यह संदेश देने के लिए तिरंगा फहराया था कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और कोई भी शक्ति इसे नकार नहीं सकती है।

एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हुए कवीन्द्र ने कहा कि आरएसएस के संस्थापक के.बी. हेडगेवार और डॉ एसपी मुखर्जी पहले कांग्रेस के साथ थे, लेकिन कांग्रेस को वंशवादी पार्टी होने के बारे में जानकारी मिलने के बाद, वे अलग हो गए और बाद में आरएसएस के साथ आए, जो देश का सबसे बड़ा राष्ट्रवादी संगठन है।

कवीन्द्र ने कहा कि भाजपा और आरएसएस को कांग्रेस पार्टी से किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। कांग्रेस वह पार्टी है जो भारत को अलग-अलग मामलों में कमजोर बनाने के लिए जिम्मेदार है और देश की सबसे पुरानी पार्टी होने के बावजूद राष्ट्रवादी पार्टी के रूप में अपनी योग्यता साबित नहीं कर सकी क्योंकि इसके हित भारत के विरोधियों चीन और पाकिस्तान के हितों के साथ कथित रूप से मेल खाता है जैसा कि विभिन्न अवसरों पर उसके नेतृत्व के रवैये से साबित होता है।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान