सोनीपत: प्रदर्शनी में नन्हें वैज्ञानिकाें ने उज्जवल भारत की तस्वीर दिखाई
-छा गए सोनीपत गुरुग्राम, पानीपत,
झज्जर, रोहतक छात्र
सोनीपत, 30 दिसंबर (हि.स.)। 51वीं
राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी का पांचवां दिन हरियाणा के नन्हें वैज्ञानिकों के
नाम रहा। निपुण हरियाणा स्टॉल पर हरियाणा के पांच जिलों ने बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता
में सुधार के लिए अपने शिक्षण-अधिगम सामग्री पर प्रदर्शित किए। गुरुग्राम, पानीपत,
झज्जर, रोहतक, और सोनीपत के स्टॉलों ने अनोखी शिक्षण विधियों और इंटरैक्टिव गतिविधियों
के माध्यम से छात्रों को आकर्षित किया।
51वीं
राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी के पांचवें दिन रोहतक, पलवल, झज्जर, करनाल, फरीदाबाद
और सोनीपत जिलों के 6,000 छात्रों और भारत के 28 राज्यों से आए 400 युवा विज्ञान प्रदर्शकों
ने भाग लिया। यह आयोजन छात्रों को अपने वैज्ञानिक विचारों को खोजने, नवाचार करने और
साझा करने का एक प्रभावशाली मंच प्रदान करता रहा। प्रदर्शनी का मुख्य विषय संगणनात्मक
सोच था, जिसमें विज्ञान वार्ताओं और प्रदर्शनों के माध्यम से अभूतपूर्व नवाचार और विचारोत्तेजक
चर्चाएं प्रस्तुत की गईं।
दिन
की गतिविधियों में स्कूल शिक्षा आयुक्त-सह-सचिव, पंकज अग्रवाल मुख्य अतिथि के रूप में
उपस्थित रहे। उन्होंने विभिन्न थीमेटिक क्षेत्रों में स्टॉल का निरीक्षण किया, छात्र
वैज्ञानिकों से बातचीत की, उनके नवाचारों का अवलोकन किया और उन्हें प्रेरणादायक शब्दों
से प्रोत्साहित किया। डॉ.
पुनीत शर्मा के एक विचारोत्तेजक सत्र से हुई, जिसमें उन्होंने कचरा प्रबंधन और जल संरक्षण
के महत्व पर जोर दिया। ई-कचरे और प्लास्टिक कचरे के मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर
पड़ने वाले दुष्प्रभावों को रेखांकित किया और बेहतर प्रबंधन के लिए व्यावहारिक समाधान
प्रस्तुत किए। डॉ. शर्मा ने मोबाइल के अत्यधिक उपयोग के मानव मस्तिष्क पर प्रभाव का
उल्लेख करते हुए छात्रों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने
ज्वालामुखियों की भूमिका, पृथ्वी के विकास और अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावना जैसे
रोचक विषयों पर भी चर्चा की।
दूसरे
सत्र में एससीईआरटी, गुरुग्राम के संयुक्त निदेशक सुनील बजाज ने विकासशील मानसिकता
पर एक इंटरैक्टिव वार्ता का संचालन किया। पहेलियों और गणितीय चुनौतियों के माध्यम से
आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान के लिए प्रेरित किया।
प्रदर्शनी की मुख्य आकर्षण थीम: संगणनात्मक
सोच रही जिसमें रोबो बिन
ऋषिका
जमुनी कार्मेल हायर सेकेंडरी स्कूल, गोवा द्वारा प्रस्तुत परियोजना एक स्वचालित कचरा
अलगाव प्रणाली थी, जो गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग डिब्बों में विभाजित करती है। इस
नवाचार ने कचरा पुनर्चक्रण, लैंडफिल को कम करने और संसाधनों के संरक्षण को बढ़ावा दिया। सेंट
जेवियर्स हाई स्कूल, गुजरात के सुहान और विश्वराज ने प्रोजेक्ट में फील्ड फोरकास्ट
एआई और मौसम विज्ञान का उपयोग करके किसानों को फसल चयन और मौसम के आधार पर निर्णय लेने
में मदद करने का प्रदर्शन किया। सांकेतिक भाषा अनुवादक दस्ताने पर सरवोदय विद्यालय,
दिल्ली के चिराग कुमार और आयशा द्वारा प्रस्तुत यह उपकरण सुनने और बोलने में असमर्थ
व्यक्तियों की सहायता के लिए डिज़ाइन किया गया था।
यह दस्ताने संकेत भाषा को वाणी में
बदलने के लिए फ्लेक्स सेंसर और ओम के नियमों का उपयोग करते हैं। आयन थ्रस्टर पर असम
के सुभ्रनिल हैंडिक और सिबानी गोगोई ने प्रदर्शित किया कि आयनीकरण और आयन प्रणोदन का
उपयोग कर अंतरिक्ष में प्रदूषण-मुक्त प्रणोदन प्रणाली कैसे बनाई जा सकती है। आधुनिक
इंजीनियरिंग में ओरिगेमी पर तमिलनाडु के टी.ए. श्रीष्ठा ने अपने प्रोजेक्ट में दिखाया
कि ओरिगेमी से प्रेरित तकनीकों का उपयोग सामग्री की ताकत बढ़ाने और चिकित्सा और सैन्य
अनुप्रयोगों में स्थान को अनुकूलित करने में कैसे किया जा सकता है।
विशेष
उल्लेख: जीवन सुधार नवाचार पर रहा सैनिटईज चेयर पर राजस्थान की अंकिता यादव द्वारा
डिजाइन यह कुर्सी न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से पीड़ित व्यक्तियों के लिए जीवन की गुणवत्ता
में सुधार करने के उद्देश्य से बनाई गई थी।दिन का समापन एक भव्य समापन समारोह के साथ हुआ। मुख्य अतिथि पंकज अग्रवाल ने
युवा प्रतिभाओं और आयोजकों की सराहना की। प्रमाणपत्र और पुरस्कार प्रदान किए गए, और
समारोह ने सभी प्रतिभागियों के मन में उत्साह और प्रेरणा की गूंज छोड़ी।
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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना