Vastu Tips : पति पत्नी के एक थाली में भोजन करने से खड़ी हो सकती है बड़ी परेशानी

अब संयुक्त परिवारों की जगह एकल परिवार ने ले ली है। परिवार में रहन-सहन के तौर-तरीकों में कई बदलाव आए हैं। इसमें खाने की आदतों में बदलाव भी शामिल है। आजकल कई परिवारों में पति-पत्नी एक ही थाली में खाना खाते हैं।
पति-पत्नी के संबंधों के दृष्टिकोण से यह उचित प्रतीत हो सकता है, क्योंकि ऐसा करने से उनके बीच प्रेम बढ़ेगा, लेकिन शास्त्रों में इसे उचित नहीं माना गया है। इसके अलावा धर्म शास्त्रों के ज्ञाता भीष्म पितामह ने भी इस बारे में कुछ महत्वपूर्ण बात कही है। इसका उल्लेख महाभारत में मिलता है।
एक थाली में खाना क्यों नहीं खाना चाहिए?
भीष्म पितामह ने आदर्श जीवन के बारे में कहा कि एक व्यक्ति अपने जीवन में कई रिश्ते बनाता है और अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य के प्रति उसकी कुछ जिम्मेदारी होती है। इस जिम्मेदारी को सभी को निभाना चाहिए। उसके लिए जरूरी है कि उन सभी के साथ मधुर संबंध हों।
यदि पति-पत्नी एक ही थाली में भोजन करते हैं, तो पति का अपनी पत्नी के प्रति प्रेम परिवार के अन्य सदस्यों की तुलना में बढ़ जाएगा। ऐसे में वे अन्य सदस्यों की उपेक्षा करने लगेंगे। इससे घर में कलह और कलह होना आम बात है। इस प्रकार एक छोटी सी गलती पूरे परिवार और घर की खुशियों को बर्बाद कर सकती है।
सही गलत की पहचान खो जाती है
पत्नी के प्रति अत्यधिक प्रेम ही पति की बुद्धि को भ्रष्ट कर सकता है और वह सही और गलत का भेद खो देता है। यह स्थिति परिवार के मुखिया के लिए उपयुक्त नहीं होती है। बेहतर होगा कि पति-पत्नी एक ही थाली में भोजन न करें।
और पूरा परिवार एक साथ बैठकर खाना खाएगा। इससे परिवार में एकता और प्रेम बढ़ता है और सभी के आपस में अच्छे संबंध रहेंगे। एक दूसरे के लिए त्याग और समर्पण की भावना बढ़ती है। इससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
ऐसा खाना खाने लायक नहीं
भीष्म पितामह कहा करते थे कि अगर कोई आपके द्वारा परोसी गई थाली को पार करता है, तो वह भोजन मिट्टी के समान दूषित माना जाता है। इसे जानवर को खिलाना चाहिए। वहीं अगर किसी का पैर परोसने की थाली में ठोकर खा जाए तो ऐसे भोजन को भी हाथ जोड़कर फेंक देना चाहिए। ऐसा भोजन गरीबी लाता है। जिस भोजन में बाल निकले हों उसे नहीं खाना चाहिए। इससे घर में धन की हानि होती है।