सरकारी कर्मचारियों को डीए देने के मूड में नहीं है ममता सरकार, लगाई पुनर्विचार याचिका

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सरकारी कर्मचारियों को डीए देने के मूड में नहीं है ममता सरकार, लगाई पुनर्विचार याचिका


सरकारी कर्मचारियों को डीए देने के मूड में नहीं है ममता सरकार, लगाई पुनर्विचार याचिका


कोलकाता, 12 अगस्त (हि.स.)। पश्चिम बंगाल सरकार राज्य के सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता (डीए) देने के मूड में नहीं है। इसलिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के भत्ता देने संबंधी आदेश पर पुनर्विचार याचिका शुक्रवार को लगाई है। इसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और इस पर जल्द सुनवाई होगी।

गत 20 मई को ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के मुताबिक राज्य सरकार के सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने का आदेश न्यायमूर्ति हरीश टंडन और रवींद्र नाथ सामंत की खंडपीठ ने राज्य सरकार को दिया था। तीन महीने के भीतर महंगाई भत्ता का भुगतान करने का आदेश भी दिया गया था। आगामी 19 अगस्त को वह समय सीमा खत्म हो जाएगी। उसके पहले ही राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका लगाई है। माकपा के शासन के दौरान अंतिम बार वर्ष 2010 तक सरकारी कर्मचारियों को वर्ष में दो बार महंगाई भत्ता दिया जाता था। उसके बाद ममता बनर्जी की सरकार बनी और महंगाई भत्ता बंद कर दिया गया। पांचवे पे कमीशन का 34 फ़ीसदी और छठे पे कमीशन का 34 फीसदी डीए बकाया है। कुल 64 फ़ीसदी डीए दिया जाना है।

राज्य सरकार ने अपनी दलील में बताया है कि राजकोष नुकसान में चल रहा है इसलिए फिलहाल सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता देना संभव नहीं है। हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है और उन्हें निश्चित तौर पर दे दिया जाना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार /ओम प्रकाश /गंगा