जन–जन में प्रतिष्ठित हैं तुलसी के राम : डॉ नीरजा माधव

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जन–जन में प्रतिष्ठित हैं तुलसी के राम : डॉ नीरजा माधव


जन–जन में प्रतिष्ठित हैं तुलसी के राम : डॉ नीरजा माधव


जन–जन में प्रतिष्ठित हैं तुलसी के राम : डॉ नीरजा माधव


कोलकाता, 5 अगस्त (हि.स.)। ‘राष्ट्रसंत गोस्वामी तुलसीदास ने राम के प्रभाव और स्वभाव को माध्यम बनाकर समाज की समस्याओं के समाधान का सार्थक प्रयास किया। संस्कृति संरक्षण तथा समाज के सम्यक् दिशादर्शन के लिए उनका कालजयी साहित्य सदैव संबल प्रदान करता रहेगा। उनके राम घर–घर में, जन–जन में प्रतिष्ठित हैं।’ उपरोक्त बातें प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ नीरजा माधव (वाराणसी) ने सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय द्वारा आयोजित तुलसी जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कही।

डॉ नीरजा माधव ने कहा कि तुलसी के मानस में धरती की विकलता का वर्णन, पर्यावरण की रक्षा के संदर्भ से जुड़ा है। धरती हमारी माँ है, धरती गाय है , उस विकल पृथ्वी के कष्ट को दूर करने के लिए ही रामावतार हुआ था। डॉ नीरजा ने कहा कि हनुमान के ‘राम–रसायन’ के माध्यम से तुलसीदास जी ने लोगों को भगवान से जोड़ने का सूत्र प्रदान किया। उन्होंने कहा कि तुलसी की पंक्तियों को उधृत कर जो लोग उन्हें नारी निंदक कहते हैं–वह उनका अज्ञान है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दूरदर्शन और आकाशवाणी के अपर महानिदेशक सुधांशु रंजन ने कहा कि समन्वयकारी तुलसीदास ने असीम (आध्यात्मिक) और ससीम (लोक) दोनों की अभिव्यक्ति जनभाषा में की है। अपने आशीर्वचन में श्रद्धेय स्वामी दिवाकर चैतन्य ने ‘मृत्युंजय मंत्र’ के सम्बन्ध में कहा कि शिवजी के जाप से मृत्युंजय मंत्र महामृत्युंजय मंत्र बना। महामृत्युंजय मंत्र के ‘त्रयम्बकं’ शब्द ‘त्रय अम्बकम्’ में ‘त्रय’ का अर्थ ‘तीन’ और ‘अम्बकम्’ में ‘अम्ब’ का अर्थ ‘माँ’ होता है, बताया। अर्थात् राम के तीन माता होने के कारण ‘महामृत्युंजय मंत्र’ परिपूर्ण हुआ है।

कार्यक्रम का शुभारम्भ सेठ सूरजमल जालान बालिका विद्यालय की छात्राओं द्वारा मंगलाचरण ‘मंगल भवन अमंगल हारी’ के समूह गायन से हुआ। तत्पश्चात जालान बालिका विद्यालय की छात्राओं द्वारा तुलसीदास के ‘नहछू’ और अन्य पदों की सांगीतिक प्रस्तुति की गयी। अतिथियों का स्वागत सर्वश्री भरत जालान, अनुराधा जालान, प्रो. राजश्री शुक्ला,महावीर बजाज, अरुण प्रकाश मल्लावत तथा विधुशेखर शास्त्री ने किया। स्वागत भाषण में पुस्तकालय के उपाध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि आज समाज जिस परिस्थिति से गुजर रहा है ऐसे समय में तुलसी साहित्य हमारा मार्गदर्शन कर सकता है।

कार्यक्रम का संचालन पुस्तकालय की मंत्री दुर्गा व्यास ने किया। सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के अध्यक्ष भरत जालान ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में महानगर के प्रतिष्ठित साहित्यकार और विभिन्न महाविद्यालयों, विद्यालयों के प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी और तुलसी प्रेमियों की महत्त्वपूर्ण उपस्थिति रही। हिन्दुस्थान समाचार/ मधुप