क्या आप जानते हैं श्राद्ध और तेरहवीं के बारे में, हिंदू धर्म में इसका खास है महत्त्व

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क्या आप जानते हैं श्राद्ध और तेरहवीं के बारे में, हिंदू धर्म में इसका खास है महत्त्व

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आपने गरुड़ पुराण के बारे में तो सुना ही होगा। ये 18 पुराणों में से एक है। गरुड़ पुराण के कथा के अनुसार भगवान विष्णु अपने वाहन यानि कि गरुड़ राज को मृत्यु के बाद मनुष्य का क्या होता है। उसके बारे में विस्तार से बताया गया है। भगवान विष्णु गरुड़ पुराण में पक्षी राज गरुड़ से कहते हैं कि कौन से जीवात्मा का मरने के बाद क्या हश्र होता है, कौन नर्क में जाता है? कौन स्वर्ग में जाता है? इसके बारे में बताया गया है।

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि क्या मनुष्य का दोबारा से पुनर्जन्म होता है या फिर वो ऐसे ही भटकता रहता है। गरुड़ पुराण में किसी की मृत्यु के बाद श्राद्ध और तेरहवीं जैसे संस्कार के महत्व के बारे में भी बताया गया है। व्यक्ति अपने जीवन काल में पाप और पुण्य दोनों ही करता है। उसी के अनुसार उनको सजा मिलती है। ये सजा यमराज के द्वारा निर्धारण किया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हिंदू धर्म में परिजनों की मृत्य के बाद श्राद्ध कर्म का नियम है।

उसी नियम के मुताबिक 13 दिनों तक मृतक के निमित्त पिंड दान किए जाते हैं।वहीं तेरहवें दिन मृतक का तेरहवीं संस्कार किया जाता है। इसे लेकर ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के बार पूरे 13 दिनों तक मृतक की आत्मा घर पर ही रहती है। मान्यता है कि 13 दिनों तक मृतक के नाम पिंडदान किया जाता है। वहीं तेरहवीं वाले दिन पूरे धर्म-कर्म से पिंडदान किया जाता है। इस दिन पूरे 13 ब्राह्मणों को सात्विक भोज भी कराया जाता है।