भूत-प्रेत और बुरी आत्माएं कैसे किसी व्यक्ति को लग जाते हैं और क्या सच है
हर व्यक्ति के भीतर तीन स्तर होते हैं मन की अवस्था का प्रथम है चेतन मन, दूसरी है अचेतन मन और तीसरी व आखिरी है अवचेतन मन। चेतन मन तो सामान्य रूप से जब हम जागृत अवस्था में होते हैं तब कार्यरत होता है और जब हम सोते हैं तो अचेतन मन कार्यरत होता है और अवचेतन मन की स्थिति थोड़ी विचित्र मानी जाती है।
वह तब जागृत होता है जब आप किसी गंभीर विषय पर सोचते और विचार करते हैं ऐसी स्थिति में अवचेतन मन हावी हो जाता है यह अवस्था को क्षणिक अवस्था भी कहा जाता है।
जिसमें आप सोच तो रहे हैं मगर सत्यता में तो आप केवल एक स्थान पर दृष्टि टिकाए है और सोच भी रुक जाती हैआपको भ्रम होता है कि आप सोच रहे हैं लेकिन सच में आप अवचेतन मन की दशा में होते हैं उसी स्थिति में जो क्षणिक है उसी में आपका मस्तिष्क एकदम शून्य हो जाता है ।
वह शून्यता ऐसी कि आप हो तो जागृत मगर ना आपका दिमाग चल रहा है और न आपका चेतन तन्त्र। ना आपका चेतन मन चलता है क्यों अचेतन मन तो केवल निद्रवस्थ में ही खुलत है तो बाकी बचा अवचेतन मन जो खुल जाता है और उसी के कारण किसी किसी मनुष्य के भूत प्रेत जैसे उसके मस्तिष्क पर कब्जा जमा देते हैं।
इसी तरह से भूत प्रेत आदि का अस्तित्व प्रकट होता है और ऐसी स्थिति में मनुष्य पूरी तरह से परेशान हो जाता है ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है कि केवल आत्माएं शरीर में प्रवेश करके ही व्यक्ति को परेशान करती है।
कई बार तो बगैर प्रवेश करे भी अपना अस्तित्व बताती है और अगर किसी के प्रति मोह रह गया हो जब श्रीर में थी वह आत्मा तो वह उस घर को आसानी से नहीं छोड़ती है उस घर में रहने वाले लोगों को अपना सबसे बड़ा दुश्नम मानती है अगर आपके आस पास कोई ऐसी समस्या है तो आपको स्वयं ही प्रयास करना होगा। तभी आपको इन सब से छुटकारा मिल पाएगा।