किस उंगली में पहने कछुआ रिंग, और क्या है इसका महत्व, फायदे; धारण करने के नियम जानें सबकुछ

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किस उंगली में पहने कछुआ रिंग, और क्या है इसका महत्व, फायदे; धारण करने के नियम जानें सबकुछ

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हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु ने समय समय पर अवतार लेकर पापियों का नाश किया है इन्हीं दशावतारों में श्रीविष्णु जी का कछुआ अवतार बहुत प्रसिद्ध है इसलिए कछुए को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। कूर्म अवतार में श्री विष्णु ने क्षीरसागर के सममुद्रमंथन के समय मंदार पर्वत को अपने कवच पर संभाला था जिससे समुद्र मंथन से चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई थी भगवान विष्णु ने कछुआ अवतार लिया था।

मनुष्य कछुए को विष्णु जी का रूप मानकर इसे अपने पास रखना चाहते हैं इसलिए वे कछुआ रिंग धारण करते हैं इस रिंग को पहनने के कई सारे फायदे भी है तो आज हम आपको कछुआ रिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर रहे हैं।

तो आइए जानते हैं। :

कछुआ रिंग को वास्तु और ज्योतिषशास्त्र में भी अहम माना जाता है इसका संबंध जितना भगवान विष्णु से है उतना ही माता लक्ष्मी से भी जोड़ा जाता है क्योंकि कछुआ समुद्र में रहता है।

ऐसे में अगर इस रिंग को धारण करते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो माता लक्ष्मी और श्री हरि विष्णु की कृपा से व्यक्ति मालामाल हो सकता है वास्तु नियमों के अनुसार चांदी से बनी कछुआ रिंग धारण करना चाहिए। वहीं अगर आप किसी अन्य धातु का प्रयोग करना चाहते हैं तो इसके लिए सोना उचित रहेगा। इस अंगूठी को इस तरह से बनवाना चाहिए कि जो इसे धारण करें कछुए का सिर उसकी ओर घुमा हुआ हो।

अगर इसके विपरीत दिशा में कदुए का मुंह होगा तो धन आने की जगह चला जाएगा। इस अंगूठी को हमेशा ही सीधे हााि की मध्यमा या फिर तर्जनी अंगुली में ही धारण करना चाहिए। इसे धारण करने के लिए शुक्रवार का दिन अच्छा होता है मान्यता है कि इससे माता लक्ष्मी की कृपा मिलती है।