स्वयं भगवान ब्रह्मा ने बताया है शनि पीड़ा से मुक्ति का उपाय

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स्वयं भगवान ब्रह्मा ने बताया है शनि पीड़ा से मुक्ति का उपाय

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हिंदू धर्म में शनि को कर्मों का फल प्रदान करने वाला माना गया है इनकी पूजा आराधना करने से भक्तों जीवन में सुख समृद्धि आती है लेकिन जिस पर शनि की कुदृष्टि पड़ जाती है उसका जीवन बर्बाद होता है शनि की कुदृष्टि से मानव जन ही नहीं बल्कि देवता भी भय खाते हैं।

शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए ज्योतिषशास्त्र में कई उपाय बताए गए है लेकिन स्वयं भगवान ब्रह्मा ने शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए एक विशेष उपाय पिप्पलाद को बताया था वही भविष्यपुराण में इसका जिक्र भी किया गया है।

जिसे अपनाने से शनि ग्रह की पीड़ा को शांत किया जा सकता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा शनिवार के दिन इसी उपाय के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

शनि पीड़ा से बचने के उपाय :

धार्मिक ग्रंथ भविष्यपुराण में जिक्र किया गया है कि ब्रह्माजी ने मुनि पिप्पलाद को ग्रहों की पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए व्रत, भोग, हवन, नमस्कार आदि की सलाह दी थी। भगवान ब्रह्मा ने ग्रहों की पीड़ा को इन तरीको से शांत व प्रभावों को कम करने के लिए बताया है।

शनि की पीड़ा दूर करने के लिए उन्होंने शनिवार के दिन शरीर पर तेल लगाकर ब्राह्माणों को भी तेल दान करने की सलाह दी। वही इसके अलावा लोहे के पात्र में तेल भरकर शनि की लोहे की प्रतिमा बनाकर नियमित रूप से उनका पूजन करें। इस उपाय को पूरे एक साल तक करना लाभकारी माना जाता है।

इसके बाद काले पुप, काले वस्त्र, काले तिल, कसार, भात आदि से उनका पूजन करें इसके बाद काली गाय, काला कंबल, तिल का तेल और धन आदि किसी गरीब व जरूरतमंदों को दान करें।

शनिदेव के प्रभावशाली मंत्र और स्तुति

'शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये.शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।'