प्रेम विवाह में आ रही अड़चनें तो करें ये उपाय, फल मिलने में नहीं लगेगी देरी

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प्रेम विवाह में आ रही अड़चनें तो करें ये उपाय, फल मिलने में नहीं लगेगी देरी

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ऐसे कई सारे लोग है जो प्रेम विवाह करना चाहते हैं इसके लिए वे प्रयास भी करते हैं मगर किसी न किसी वजह से इनके विवाह में अड़चने आ जाती है वही जातक की कुंडली में भी कई बार ऐसी परिस्थितियां पैदा हो जाती है। जातक चाहकर भी प्रेम विवाह नहीं कर पाता है या फिर कई बार व्यक्ति के योग ही नहीं बनते हैं ऐसे में ज्योतिष शास्त्र से जुड़े कुछ उपायों को करना लाभकारी मानाजात है इन उपायों को नियमित तौरपर करने से प्रेम विवाह में आने वाली दिक्कतें दूर हो जाती है।

जल्दी ही प्रेम विवाह होता है ये उपाय बेहद ही सरल होते हैं इन्हें कोई भी कभी भी कर सकता है ते आज हम आपको इन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

जानिए प्रेम विवाह के अचूक उपाय :

शास्त्र अनुसार स्कंद पुराण में जानकी स्तुति का वर्णन मिलता है हिंदू धर्म में जानकी स्तुति का विशेष महत्व बताया गया है ज्योतिष अनुसार अगर आप प्रेम विवाह करना चाहते हैं तो नियमित रूप से भगवान श्रीराम और देवी सीता की पूज करें।

श्री जानकी स्तुति का एक माला जाप जरूर करें इस उपाय को करते हैं फल मिलने में देर नहीं लगती है प्रेम विवाह में आनेवाली हर अड़चन व बाधाएं दूर हो जाती है इतना ही नहीं श्रीजानकी स्तुति के जाप से मनुष्य के जीवन के कष्ट भी दूर हो जाते हैं और अशुभ ग्रहों से भी मुक्ति मिलती है।

श्री जानकी स्तुति :

जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम् ।

जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम् ॥1॥

दारिद्र्यरणसंहत्रीं भक्तानाभिष्टदायिनीम् ।

विदेहराजतनयां राघवानन्दकारिणीम् ॥2॥

भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम् ।

पौलस्त्यैश्वर्यसन्त्री भक्ताभीष्टां सरस्वतीम् ॥3॥

पतिव्रताधुरीणां त्वां नमामि जनकात्मजाम् ।

अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम् ॥4॥

आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्यहम् ।

प्रसादाभिमुखीं लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभाम् ॥5॥

नमामि चन्द्रभगिनीं सीतां सर्वाङ्गसुन्दरीम् ।

नमामि धर्मनिलयां करुणां वेदमातरम् ॥6॥

पद्मालयां पद्महस्तां विष्णुवक्षस्थलालयाम् ।

नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननाम् ॥7॥

आह्लादरूपिणीं सिद्धि शिवां शिवकरी सतीम् ।

नमामि विश्वजननीं रामचन्द्रेष्टवल्लभाम् ।

सीतां सर्वानवद्याङ्गीं भजामि सततं हृदा ॥8॥

इति श्रीस्कन्दमहापुराणे सेतुमाहात्म्ये श्रीजानकीस्तुतिः सम्पूर्णा ।