क्या है वास्तु शास्त्र का सत्य, क्या ये सच में लाभ पहुंचाता है

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क्या है वास्तु शास्त्र का सत्य, क्या ये सच में लाभ पहुंचाता है

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अधिकतर लोग वास्तुशास्त्र पर यकीन करते हैं और जब कोई व्यक्ति घर बनवाता है तब इस बात का ध्यान जरूर रखता है कि घर में कोई वास्तुदोष तो नहीं है, अगर घर में कोई वास्तुदोष होता है।

तो उसे वास्तु विशेषज्ञ से ठीक करवाता है या इससे जुड़े कुछ उपाय करता है जिससे उसके जीवन में वास्तुदोष से जुड़ी कोई समस्या ना हो ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा वास्तुशास्त्र का सत्य बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

जब कोई मनुष्य किसी नए स्थान व जगह पर जाता है तो हर एक स्थान का अपना अपना प्रभाव होता है जैसे की लोग अपने आस पास की उर्जा को लेकर जावन जावन करते हैं तब उस ऊर्जा का कुछ भाग वहीं पर गुरुत्वाकर्षण के बल के कारण छूट जाता है।

इसी कारण से वह जमीन या प्रस्थान उस शक्ति के घेरे में आ जता है और इसी कारण से ऊर्जा जब आप वहां पर जाते हैं तब वह आपको बांध लेती है इससे आपके मस्तिष्क के ज्ञान को वह तुरंत ही विचलित कर देती है।

ऐसे जैसे आप एकदम गर्म वातावरण से एकदम ठंडे वातावरण में चले जाए तो जैसे आप विचलित हो उठते हैं ठीक उसी तरह से इस सुझाव के संबंध में भी यही होता है मगर आप केवल उसको अनुभव कर सकते हैं।

इसे देख नहीं सकते हैं यही कारण है कि स्थान परिवर्तन कई लोगों को उचित नहीं लगता है तो उनको बेचैनी महसूस होने लगती है और इसी कारण से कई बार मनुष्य बीमार तक हो जाता है यह बस होता है।

वही कई ऐसे लोग है जो कहते हैं कि ये जमीन शापित या अनुचित है लेकिन अगर जमीन अनुचित है तो सभी के लिए ऐसी ही होनी चाहिए एक के लिए अच्छी तो दूसरे के लिए खराब कैसे हो सकती है।

कई लोगों को ऐसा लगता है कि दक्षिण मुखी घर लेने से घर में अशांति फैलती है मगर वह लोग भूल जाते हैं कि दक्षिण मुखी घर में भी कई लोग रहते हैं और उनमें से 50 प्रतिशत लोग सुखी भी है उसके पीछे यही कारण है कि जमीन कभी भी उचित या अनुचित नहीं हो सकती है।

उचित और अनुचित तो हमारी ऊर्जा होती है जो हमने ही निर्मित की है अपने स्वभाव से अपने विचारों से और अपने कर्मों से। वास्तुशास्त्र भी इन्हीं नियमों पर काम करता है ना कि कोई ग्रहों के या फिर कोई देवताओं और असुरों के वास्तुशास्त्र हमेशा ऊर्जा को ही महत्व देते हैं और उनकी कार्य प्रणाली इसी संबंध पर आधरित मानी जाती है।