Ramadan 2024: पहला रोज़ा होगा सबसे छोटा, फिर धीरे-धीरे बढ़ेगा वक़्त, आखिरी रोजा 14 घंटा 08 मिनट का

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Ramadan 2024: पहला रोज़ा होगा सबसे छोटा, फिर धीरे-धीरे बढ़ेगा वक़्त, आखिरी रोजा 14 घंटा 08 मिनट का

Ramadan 2024

Photo Credit: Ganga


Ramazan 2024, Ramadan: मुस्लिम धर्म में रमजान का महीने बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है। इस पूरे महीने लोग रोजा रख अल्लाह की इबादत करते हैं। शाम के वक्त रोजा तोड़कर इफ्तारी करते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के महीने में सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोज़ा रखते हैं। वहीं, रोज़े के दौरान पानी का सेवन भी नहीं किया जाता है। रमजान के चांद का दीदार होते ही सहरी और इफ्तार का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। 

कब दिखेगा चाँद?
पवित्र इस्लामी माह रमजान चंद घंटों के फासले पर है। सोमवार 11 मार्च को रमजान का चांद देखा जाएगा। चांद नजर आया तो मंगलवार 12 मार्च को पहला रोजा होगा। अगर चांद नहीं नजर आया तो पहला रोज़ा बुधवार 13 मार्च को रखा जाएगा। रमजान का चांद दिखने के साथ ही मस्जिदों और घरों में विशेष तरावीह की नमाज का दौर शुरू हो जाएगा।

सबसे छोटा होगा पहला रोजा 

मुस्लिम घरों में रमजान की तैयारियां शुरु हो चुकी हैं। इस साल पहला रोजा सबसे छोटा होगा। जो करीब 13 घंटे 20 मिनट का होगा। वहीं, आखिरी रोजा सबसे लम्बा रोजा 14 घंटा 08 मिनट का होगा। जो रमज़ान का सबसे बड़ा रोज़ा होगा। हाफिज़-ए-कुरआन रमजान की रातों में पढ़ी जाने वाली विशेष तरावीह नमाज पढ़ाने के लिए कुरआन-ए-पाक दोहराने में लगे हुए हैं। 

रमज़ान को लेकर मुस्लिम समाज में उत्साह है। इस्लाम धर्म में रमज़ान का महिना बेहद खास माना जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए माह-ए-रमज़ान का रोजा रखना फर्ज है। रमजान बहुत ही रहमत व बरकत वाला महीना है। अल्लाह के बंदे दिन में रोजा रखते हैं और रात में खास नमाज तरावीह पढ़ते हैं। इस माह में मुसलमान कसरत से जकात, सदका, फित्रा निकाल कर गरीब, बेसहारा और जरूरतमंदों की मदद करते हैं।

तीन अशरों में बंटा है माह ऐ रमज़ान

मान्यताओं के अनुसार, पवित्र रमजान का पहला अशरा रहमत, दूसरा मग़फिरत, तीसरा जहन्नम से आजादी का है। रमजान रहमत खैर व बरकत का महीना है। इसमें रहमत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। माना जाता है की रमजान के महीने के दौरान जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। नफ्ल का सवाब फर्ज के बराबर और फर्ज का सवाब सत्तर फर्जों के बराबर दिया जाता है। रोजा खास अल्लाह के लिए है। अल्लाह रोजेदार के सारे गुनाह माफ कर देता है।