शाहिद अफरीदी ने कहा- इस्लाम कबूल करो, हिंदू क्रिकेटर ने खोली पोल!

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शाहिद अफरीदी ने कहा- इस्लाम कबूल करो, हिंदू क्रिकेटर ने खोली पोल!

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Photo Credit: Social media


पाकिस्तान के पूर्व लेग स्पिनर दानिश कनेरिया ने अपने क्रिकेट करियर के दौरान कई शानदार प्रदर्शन किए और टीम को यादगार जीत दिलाईं। लेकिन उनका करियर उम्मीद से पहले खत्म हो गया। अब उन्होंने अपने दिल का दर्द बयां करते हुए कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। कनेरिया का कहना है कि पाकिस्तान क्रिकेट टीम में उनके साथ भेदभाव किया जाता था, जिसने उनकी जिंदगी और करियर को पूरी तरह बदल दिया। एक हिंदू क्रिकेटर के तौर पर उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा और आज वे इस वजह से अमेरिका में रह रहे हैं। उनकी बातें सुनकर यह साफ होता है कि उन्हें वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे।

शाहिद अफरीदी पर लगाया बड़ा आरोप

दानिश कनेरिया ने पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि अफरीदी ने उन पर कई बार इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव डाला। कनेरिया ने बताया कि अफरीदी बार-बार उनसे धर्म बदलने की बात कहते थे, लेकिन उन्होंने इस दबाव को ठुकरा दिया। एक हिंदू होने के नाते वे अपने धर्म पर अडिग रहे और किसी के कहने पर अपनी आस्था नहीं बदली। कनेरिया का यह भी कहना है कि अफरीदी जैसे बड़े खिलाड़ियों की वजह से टीम में उनके लिए माहौल ठीक नहीं रहा। यह खुलासा क्रिकेट जगत में हलचल मचा सकता है, क्योंकि अफरीदी पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ियों में से एक रहे हैं।

टीम में भेदभाव ने तोड़ा करियर

कनेरिया का मानना है कि उनके करियर का अंत सिर्फ उनकी गलतियों की वजह से नहीं हुआ, बल्कि टीम में उनके साथ हुए भेदभाव ने इसे बर्बाद कर दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में एक हिंदू खिलाड़ी होने की वजह से उन्हें शुरू से ही अलग नजरों से देखा जाता था। जहां उनके प्रदर्शन की तारीफ होनी चाहिए थी, वहां उन्हें हाशिए पर रखा गया। कनेरिया का कहना है कि टीम में उनका पूरा साथ नहीं मिला और कई मौकों पर उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया गया। इस भेदभाव ने न सिर्फ उनके आत्मविश्वास को ठेस पहुंचाई, बल्कि उनके क्रिकेट करियर को भी समय से पहले खत्म कर दिया।

पाकिस्तान छोड़ने की मजबूरी

दानिश कनेरिया ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि पाकिस्तान में उन्हें वह जगह और सम्मान नहीं मिला, जिसकी उन्हें उम्मीद थी। एक हिंदू क्रिकेटर के तौर पर उनके साथ हुए व्यवहार ने उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। आज वे अमेरिका में रहते हैं और पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्हें लगता है कि अगर उनके साथ निष्पक्षता बरती जाती तो शायद उनकी कहानी कुछ और होती। कनेरिया का कहना है कि वे अपने देश के लिए खेलना चाहते थे, लेकिन हालात ऐसे बने कि उन्हें वहां से जाना पड़ा। उनकी यह बातें पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले व्यवहार पर सवाल उठाती हैं।

क्रिकेट के लिए जुनून बरकरार

भले ही दानिश कनेरिया का करियर मुश्किल हालात में खत्म हुआ, लेकिन क्रिकेट के प्रति उनका प्यार आज भी कम नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि वे आज भी खेल से जुड़े रहना चाहते हैं और आने वाली पीढ़ी को कुछ सिखाना चाहते हैं। कनेरिया का मानना है कि उनके अनुभव दूसरों के लिए सबक हो सकते हैं। वे चाहते हैं कि क्रिकेट में किसी के साथ धर्म या पहचान के आधार पर भेदभाव न हो। उनकी यह सोच दिखाती है कि वे न सिर्फ एक खिलाड़ी, बल्कि एक संवेदनशील इंसान भी हैं, जो खेल की भावना को समझते हैं।