दहेज में 21 जहरीले सांप! ये है इस अनोखी प्रथा का रहस्य जो आपको हैरान कर देगा

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दहेज में 21 जहरीले सांप! ये है इस अनोखी प्रथा का रहस्य जो आपको हैरान कर देगा

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Photo Credit: UPUKLive


भारत के कुछ क्षेत्रों में दहेज की प्रथा को लेकर हमेशा चर्चा होती है, लेकिन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के गौरिया समुदाय में यह प्रथा बिल्कुल अलग है। यहां दूल्हे को दहेज के रूप में 21 जहरीले सांप दिए जाते हैं। यह रिवाज इतना पुराना है कि इसे समुदाय के लोग अपनी परंपरा का हिस्सा मानते हैं।

गौरिया समुदाय की विशेष पहचान

गौरिया समुदाय के लोगों का मुख्य काम सांप पकड़ना है। वे इन सांपों को प्रदर्शनी लगाकर या उनके जहर से दवा बनाकर कमाई करते हैं। इस समुदाय में शादी के दौरान दूल्हे को सांप दहेज में देने की परंपरा इसलिए शुरू हुई क्योंकि यह उनके आजीविका का प्रतीक है। यहां के लोग मानते हैं कि सांपों के साथ दूल्हा अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकेगा।

सांपों की संख्या और उनका महत्व

इस प्रथा में सांपों की संख्या 9 से 21 तक होती है। मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में 21 सांप दिए जाते हैं, जबकि छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में 7 से 9 सांप दहेज के रूप में दिए जाते हैं। इनमें से अधिकांश सांप जहरीले होते हैं, जैसे कि गहुआ और डोमी प्रजाति। ये सांप इतने खतरनाक होते हैं कि एक बार काटने पर इंसान की मौत हो सकती है।

शादी की तैयारी और सांपों का चयन

शादी के कुछ दिन पहले ही लड़की के परिवार वाले सांपों की तैयारी शुरू कर देते हैं। वे जंगलों में जाकर जहरीले सांपों को पकड़ते हैं और उन्हें सुरक्षित ढंग से रख देते हैं। शादी के दिन इन सांपों को एक बक्से में रखकर दूल्हे के पास भेजा जाता है। यह प्रक्रिया इतनी सावधानी से की जाती है कि किसी को चोट न लगे।

सांपों के साथ जुड़ी मान्यताएं

गौरिया समुदाय के लोगों का मानना है कि सांपों के साथ दूल्हे का विवाह सुखमय होगा। वे सांपों को देवता के अवतार के रूप में देखते हैं और मानते हैं कि यह उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान करेगा। यहां तक कि अगर कोई परिवार सांपों का दहेज नहीं देता है, तो शादी टूटने की संभावना होती है।

आजीविका का प्रतीक

सांपों का दहेज सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि समुदाय के लिए आजीविका का प्रतीक भी है। गौरिया समुदाय के लोग सांपों के जहर से दवा बनाते हैं और इन्हें बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं। यही कारण है कि वे दूल्हे को सांप देकर उसके भविष्य को सुरक्षित करने की कोशिश करते हैं।

समाज में इस प्रथा का प्रभाव

हालांकि यह प्रथा पुरानी है, लेकिन आज भी इसे समुदाय के लोगों ने अपनाया हुआ है। यहां के युवा भी इसे अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते हैं और इसे बदलने के लिए तैयार नहीं हैं। हालांकि, बाहरी लोगों को यह प्रथा हैरान करने वाली लगती है, लेकिन गौरिया समुदाय के लिए यह एक सामान्य बात है।

परंपरा और आजीविका का संगम

यह प्रथा न केवल एक अनोखी परंपरा है, बल्कि समुदाय के लिए जीवन का आधार भी है। गौरिया समुदाय के लोगों का सांपों के साथ जुड़ाव उनके विकास और संस्कृति को दर्शाता है। यह दिखाता है कि कैसे पुरानी मान्यताएं आज भी समाज में जीवित हैं और लोगों के जीवन को आकार देती हैं।

यह प्रथा हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि परंपराएं कितनी गहराई से समाज में जड़ी होती हैं। जहां एक ओर यह प्रथा हैरान कर देती है, वहीं दूसरी ओर यह समुदाय के लिए एक पहचान का प्रतीक बन गई है।