आया था 100 रुपए की मजदूरी करने, मगर बन गया करोड़पति

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आया था 100 रुपए की मजदूरी करने, मगर बन गया करोड़पति

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जिंदगी में कब क्या हो जाए किसी को नहीं पता लेकिन जरूरी है कि हमेशा मेहनत करते रहना चाहिए और हमेशा आगे बढ़ने की इच्छा होनी चाहिए। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने कई मुश्किलों के बाद सफलता को हासिल किया और आज कई लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं इस शख्स का नाम हरवेंद्र सिंह है जो उत्तरप्रदेश के अमरोहा रहने वाले हैं।

हरवेंद्र बने अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया है लेकिन कभी हार नहीं मानी। आज हरवेंद्र मछ्ली पालन से ही करोड़ों रूपये कमा रहे हैं। लेकिन एक समय था जब उन्हें गरीबी के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी और साथ ही मजदूरी भी करनी पड़ी। लेकिन ऐसे में भी हरवेंद्र का मनोबल कमजोर नहीं हुआ और आज वे करोड़ों की कमाई के साथ कई लोगों के लिए प्रेरणा भी बन चुके हैं।

धोखे के कारण छोड़नी पड़ी पढ़ाई

कहते हैं कि हमेशा वही नहीं होता जो हम सोचते हैं। कभी कभी जिंदगी में हमारे लिए उससे भी अच्छा सोचा होता है। ऐसी ही कुछ कहानी है उत्तरप्रदेश के अमरोहा के रहने वाले हरवेंद्र सिंह की जो आज मछ्ली पालन से अपनी पहचान बना रहे हैं। हरवेंद्र आज मछली पालन से ही करोड़ों की कमाई कर रहे हैं लेकिन ये सब उनके लिए भी आसान नहीं था।

इस बीच उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन हरवेंद्र ने कभी खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया। आज भी वे कई युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।

दरअसल हरवेंद्र का भी पढ़ाई में काफी मन था और वे पढ़ाई में ही अच्छा खासा प्रदर्शन करना चाहते थे। आज से कुछ साल पहले हरवेंद्र ने 12वीं के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने का मन बनाया। लखनऊ की संस्था में इसके लिए हरवेंद्र ने दाखिला भी ले लिया था।

लेकिन ये संस्थान फर्जी निकला और हरवेंद्र के 50 हज़ार भी डूब गए। जिसके बाद तो हरवेंद्र के घर वालों ने भी उन्हें ताने मारना शुरू कर दिया। उनका परिवार भी अब हरवेंद्र से कमाई चाहता था।

दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम कर चलाया गुजारा

जानकारी के मुताबिक जब हरवेंद्र की शादी हुई तो उनके लिए परिवार का खर्च चलाना भी काफी मुश्किल हो गया था। ऐसे में हरवेंद्र के बड़े भाई हरियाणा में गुरुद्वारे में काम कर रहे थे। अब हरवेंद्र भी हरियाणा अपने भाई के पास आ गए। यहाँ हरवेंद्र ने कम तलाशना शुरू कर दिया लेकिन उनके लिए ये भी आसान नहीं था। हरवेंद्र ने कई जगहों पर जाकर कम मांगा लेकिन बात नहीं बन पाई।

बता दें कि कई ठेकेदारों ने उन्हें काम के लिए मना किया तो कई ने फटकार लगाकर भागा दिया। लेकिन बाद में उन्हें एक ठेकेदार ने 100 रूपये रोजाना के हिसाब से मजदूरी पर रख लिया। कुछ समय तक हरवेंद्र ने इसी तरह से अपना खर्च चलाया। लेकिन इतनी कम कमाई में घर चलाना काफी मुश्किल हो गया था और वे भी अब कुछ अलग करना चाहते थे।

ऐसे शुरू किया मछ्ली पालन

दरअसल 2016 में हरवेंद्र के बड़े भाई को लगा कि गुरुद्वारे में काम करके घर नहीं चलाया जा सकता। ऐसे में उनके भाई घर वापस आए और मछ्ली पालन करना शुरू कर दिया। धीरे धीरे ही उन्होंने पॉन्ड की संख्या बढ़ाना शुरू किया। वहीं हरवेंद्र को भी उनके भाई ने गाँव बुला लिया और दोनों भाइयों ने मिलकर काम करना शुरू कर दिया। हालांकि ये काम करने के लिए भी उन्हें मुश्किलें आई।

सबसे पहले तो दोनों को घर में ही विरोध का सामना करना पड़ा। मछ्ली पालन करना ऊंची जाती वालों के लिए उनके गाँव में सही नहीं माना जाता था। ऐसे में उनके पिता भी इस काम के लिए तैयार नहीं थे और इसके लिए हरवेंद्र को भी खूब ताने पड़े। लेकिन दोनों भाइयों ने हार नहीं मानी और अपने काम पर ही ध्यान दिया। सबसे पहले लीज़ पर जमीन लेकर तालाब बनाया और काम शुरू किया।

इसी काम से हो रही है करोड़ो की कमाई

बता दें कि उन्हें लीज़ पर लिए तालाब से अच्छा खासा मुनाफा हुआ ऐसे में उनके पिता को भी बच्चों के काम पर विश्वास हो गया और अब घर की जमीन को ही तालाब में बदलने की इजाजत भी मिल गई। 4 एकड़ से शुरू हुआ ये काम आज 16 एकड़ जमीन में किया जा रहा है।

इससे उन्हें सालना 2 करोड़ तक की कमाई भी हो रही है। मछ्ली का सीड कोलकाता से मंगवाया जाता है वहीं इसका फीड वे आंध्रप्रदेश से लेते हें। आज कई लोग इस काम की ट्रेनिंग हरवेंद्र से ले रहे हैं। हालांकि ये काम भी आसान नहीं होता है और इसमें कड़ी मेहनत की जरूरत होती है।

आज दोनों भाई मिलकर इस काम को अच्छे से कर रहे हैं और अच्छी ख़ासी कमाई भी कर रहे हैं।