मोहब्बत और दान का त्यौहार है ईद उल फितर

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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मोहब्बत और दान का त्यौहार है ईद उल फितर

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कल रात चांद के दीदार को मुस्लिम समुदाय के लोगों में बेहद उत्सुकता रहेगी। अगर कल रात चांद का दीदार होता है तो सोमवार को ईद मनायी जाएगी। जबकि चांद का दीदार न होने पर ईद मंगलवार को होगी। 

ईद उल फितर अरबी भाषा का शब्द है। ईद का तात्पर्य है खुशी, फितर का अभिप्राय है दान। इस प्रकार ईद उल फितर ऐसा दान-पर्व है, जिसमें खुशी बांटी जाती है तथा जो आर्थिक दृष्टि से इतने कमजोर हैं कि उन्हें रोटी-रोजी के भी लाले पड़े हैं और खुशी जिनके लिए ख्वाब की तरह होती है। ऐसे वास्तविक जरूरतमंद लोगों को फितरा (दान) देकर उनके ख्वाब को हकीकत में बदला जाता है और वे भी खुशी मनाने के काबिल हो जाते हैं। फितरा अदा करने के शरीअत में निर्धारित मापदंड हैं। ईद उल फितर का त्यौहार रमज़ान माह के खत्म होने पर चांद दिखने पर मनाया जाता है। सेवइयों में लिपटी मोहब्बत की मिठास का त्यौहार ईद-उल-फितर भूख प्यास सहन करके एक महीने तक सिर्फ खुदा की इबादत में मशगूल रहने वाले रोज़ेदारों को अल्लाह का इनाम है। इस दिन विभिन्न धर्मों के लोग गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं और सेवाइयां अमूमन उनकी तल्खी की कड़वाहट को मिठास में बदल देती हैं।

फितरा व जकात देना जरूरी
ईद मनाने से पहले फितरा और जकात निकाल देना चाहिए। जो कोई फितरा नहीं निकालता वह ईद की नमाज पढ़ने ईदगाह में जाने के योग्य नहीं। फितरा अनाथ, मजलूम और गरीबों को दी जाती है। जकात आय का 40वां भाग माना जाता है। फितरा एक निश्चित वजन में अनाज (मुख्यत: गेहूं) के रूप में होता है अथवा उस अनाज की कीमत के रूप में धन राशि होती है। जिस किसी के पास साढ़े सात तौला सोना, 52.5 तोले चांदी या इनमें से किसी एक के बराबर रकम अपनी जरूरत के अलावा रखता हो, उसके लिए ज़कात देना जरुरी होता है।