गुरु दक्षिणा से लेकर IAS बनने तक का सफर तय करवा रहे गुरु रहमान ने बदल दी 10 हजार छात्रों की किस्मत

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गुरु दक्षिणा से लेकर IAS बनने तक का सफर तय करवा रहे गुरु रहमान ने बदल दी 10 हजार छात्रों की किस्मत

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देश में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कई संस्थान हैं जहां परीक्षा की तैयारी के नाम पर मोटी रकम वसूल की जाती है। यही वजह है कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्र अपने हौसले नहीं उड़ा पा रहे हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गुरु के बारे में बताने जा रहे हैं जो 11 से 51 रुपये की गुरु दक्षिणा में छात्रों के IAS बनने तक का सपना पूरा कर रहे हैं।

आपको बता दें कि बिहार की राजधानी पटना में एक ऐसा कोचिंग सेंटर है, जहां गुरु दक्षिणा के नाम पर कुछ रुपये लिए जाते हैं. यह कोचिंग संस्थान अब तक 10 हजार से ज्यादा छात्रों की किस्मत बदल चुका है। यहां के छात्र इंस्पेक्टर से लेकर इंस्पेक्टर, आईएएस, आईपीएस, आईआरएस और सीटीओ अधिकारियों तक अन्य सरकारी नौकरियों में अच्छे पदों पर कार्यरत हैं।

इस कोचिंग संस्थान का नाम अदिती गुरुकुल है, इसके संस्थापक गुरु रहमान आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए मसीहा बने हुए हैं। उन्होंने अपनी बेटी अदम्य अदिति गुरुकुल के नाम पर संस्थान का नाम रखा है।

बताया जा रहा है कि पटना के नया टोला क्षेत्र में स्थित गुरु रहमान के अदम्य अदिति गुरुकुल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां परीक्षा के नाम पर बड़ी रकम नहीं ली जाती है. गुरु दक्षिणा के नाम पर छात्रों से अधिकतम 11 रुपये लिए जाते हैं। गौरतलब है कि गुरु रहमान मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, इसके बावजूद उन्हें वेदों के सर्वश्रेष्ठ विद्वानों में से एक माना जाता है।

1994 में गुरु रहमान ने अपना गुरुकुल स्थापित किया। उनके संस्थान में यूपीएससी, बीपीएससी और कर्मचारियों के चयन की तैयारी की जाती है। यहां से अब तक हजारों छात्र भारतीय प्रशासनिक सेवा से लेकर डॉक्टरेट और इंजीनियरिंग तक की परीक्षाएं पास कर चुके हैं।

आपको बता दें कि गुरु रहमान ने अपने माता-पिता के आशीर्वाद के बिना शादी की थी क्योंकि उस समय हिंदू-मुसलमान से शादी करना बड़ी बात थी। इसके साथ ही गुरु रहमान और उनकी पत्नी का रुख स्पष्ट था कि दोनों में से कोई भी धर्म परिवर्तन नहीं करेगा।

समाज इस बाज़ और झुंझलाहट से गुज़रा, जिसके कारण सभी ने उसका बहिष्कार कर दिया, लोगों ने उसे बहुत ताना मारा और कहीं नौकरी नहीं मिली। उन्होंने इन कठिन परिस्थितियों में भी अपने हौसले को कायम रखा।

उन्होंने एक छोटा कमरा किराए पर लिया और फर्श पर बैठे छात्रों को पढ़ाना शुरू कर दिया। चूंकि वह एक पुलिस इंस्पेक्टर का बेटा था, इसलिए वह एक IPS अधिकारी बनना चाहता था, कई बार वह परीक्षा में बैठा और कुछ परीक्षाएँ पास की लेकिन उसकी मंजिल कहीं और थी।

आपको बता दें कि गुरु रहमान खुद एक आईपीएस अधिकारी नहीं बने बल्कि उन्होंने अपने छात्रों को यूपीएससी और बीपीएससी जैसी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग देना शुरू कर दिया, जिसमें लिपिक पद की परीक्षा भी शामिल है।

कुछ ही दिनों में उनका नाम सुर्खियों में आने लगा। पहली बार उन्हें सबसे बड़ी सफलता 1994 में मिली, इस दौरान बिहार में 4 हजार सब-इंस्पेक्टर की भर्ती की गई।

उन 4 हजार भर्तियों में रहमान सर के 1100 छात्रों ने अपनी छाप छोड़ी थी। तभी से कई छात्र रहमान सर से पढ़ने के लिए आतुर थे। एक आर्थिक रूप से कमजोर छात्र मार्गदर्शन के लिए उनके पास आया। बताया जा रहा है कि पैसे के अभाव में वह ठीक से पढ़ाई नहीं कर पा रहा था। लड़के के टैलेंट को देखकर रहमान सर ने उसे अपनी क्लास में शामिल कर लिया।

फीस के नाम पर 11 रुपये ही लिए गए। तब से वह गुरु दक्षिणा के नाम पर गरीब छात्रों से मात्र 11 रुपये लेता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि वह छात्र कोई और है, नुआपाड़ा, ओडिशा के जिला कलेक्टर शादिक आलम।

जबकि एक अन्य छात्रा मीनू कुमारी झा आईपीएस ऑफिसर बनना चाहती थीं। गुरु रहमान सर के मार्गदर्शन में प्राचीन इतिहास और संस्कृति में ट्रिपल एमए और पीएचडी और आईपीएस अधिकारी भी बने।

गौरतलब है कि गुरु रहमान ने उनसे मात्र 11 रुपये भी लिए थे। आपको बता दें कि मीनू कुमारी झा पूर्णिया जिले के एक सेवानिवृत्त प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका की बेटी हैं।

खास बात यह है कि गुरु रहमान के मुताबिक उनके संस्थान से 10 हजार से ज्यादा छात्र शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। जिसमें से 3,000 छात्रों को सब इंस्पेक्टर, 60 आईपीएस अधिकारी और 5 आईएएस अधिकारी के रूप में और कई अन्य आधिकारिक पदों पर भर्ती किए गए हैं। 2007 में लोग रहमान सर को गुरु रहमान के नाम से जानने लगे। जाने जाने लगे सभी छात्रों ने अपनी हैसियत के हिसाब से फीस जमा की।