Indian Railway: ट्रेन की पटरियों के बीच क्यों बिछाये जाते हैं पत्थर? जाने इसकी रोचक वजह

ट्रेन की पटरी जितनी सीधी दिखती है, असल में उतनी आसान नहीं है, उस ट्रैक के नीचे कंक्रीट से बनी प्लेट होती हैं, जिन्हें स्लीपर कहा जाता है. इन स्लीपरों के नीचे एक पत्थर यानि गिट्टी होती है, इसे गिट्टी कहते हैं, इसके नीचे दो अलग-अलग परतों में मिट्टी होती है और इन सबके नीचे सामान्य जमीन होती है। जब आप ट्रेन में सफर कर रहे होते हैं तो आपने रेलवे ट्रैक देखा होगा, तब आपको पता चलेगा कि ट्रेन की पटरियों के बीच में पत्थर रखे जाते हैं।
कहा जाता है कि जब से ट्रेन का अविष्कार हुआ है तब से इसकी पटरियों पर पत्थर बिछाए जा रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों किया जाता है? आइए इस लेख में आपको वही बताते हैं।
ट्रेन का वजन संभालने के लिए बिछाए जाते हैं पत्थर
लोहे से बनी एक ट्रेन का वजन करीब 10 लाख किलो होता है, जिसे सिर्फ ट्रैक ही नहीं संभाल सकता. इतनी भारी ट्रेन के वजन को संभालने में लोहे की बनी पटरियां, कंक्रीट से बने स्लीपर और पत्थर सभी का योगदान होता है।
वैसे ज्यादातर भार इन्हीं पत्थरों पर ही पड़ता है। पत्थरों के कारण ही कंक्रीट से बने स्लीपर अपनी जगह से हिलते नहीं हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि लोहे से बनी एक ट्रेन का वजन 10 लाख किलो तक होता है. ऐसे में सिर्फ ट्रैक ही इतना वजन नहीं संभाल सकता।
इसलिए ट्रेन के वजन को संभालने में लोहे की बनी पटरियां, कंक्रीट से बने स्लीपर और पत्थर सभी का योगदान होता है। अधिकांश भार इन्हीं पत्थरों पर पड़ता है। ये पत्थर कंक्रीट से बने स्लीपर को भी हिलने नहीं देते।
ट्रैक पर घास और अन्य पौधों से बचाने में मदद करता है. अगर रेलवे ट्रैक पर पत्थर नहीं बिछाए गए तो ट्रैक पर घास और पेड़ उग आएंगे। इससे रेलवे को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। यह भी एक कारण है जिसके कारण रेलवे ट्रैक पर पत्थर बिछाए जाते हैं।
वैज्ञानिक कारण
रेलवे पटरियों पर पत्थर डालने का एक वैज्ञानिक कारण कंपन को कम करना है। दरअसल, जब ट्रेन पटरियों पर तेज गति से चलती है तो कंपन भी पैदा होता है, जिससे पटरियों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे ट्रैक पर लगे पत्थर भी इस कंपन को कम करने में मदद करते हैं.
जलजमाव की समस्या नहीं
पटरियों पर पत्थर डालने के पीछे एक कारण यह भी है कि पटरियों में जलजमाव की समस्या न हो। बारिश का पानी जब ट्रैक पर गिरता है तो पत्थर से होते हुए जमीन पर चला जाता है।
इससे पटरियों के बीच जलजमाव की समस्या नहीं होती है। इसके अलावा ट्रैक में रखे पत्थर भी पानी में बहते नहीं हैं।