कॉलेज में बैकबेंचर,अब हैं तमिलनाडु के डीजीपी; जानें शैलेंद्र बाबू के आईपीएस बनने का सफर

डिजिटल डेस्क : इस परीक्षा में सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत और लगन चाहिए। अक्सर कहा जाता है कि कमजोर छात्रों या बैकबेंचरों के लिए यह परीक्षा पास करना बेहद मुश्किल है, लेकिन आज हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं वो हैं तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक डॉ. सी. शैलेंद्र बाबू, जिन्होंने कॉलेज बैकबेंचर से आईपीएस अधिकारी बनने का सफर चय किया।
यूपीएससी की तैयारी कर रहे लाखों उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा बन चुके शैलेंद्र बाबू कॉलेज के बैकबेंच से निकलकर यूपीएससी परीक्षा पास की और भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने का विकल्प चुना।
59 वर्षीय शैलेंद्र बाबू तमिलनाडु कैडर के 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। कुझीथुरई के एक सरकारी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने डॉक्टर बनने का लक्ष्य रखा, जिसे वह पूरा नहीं कर सकें।
महत्वपूर्ण मोड़
कॉलेज के दिनों में यूपीएससी पास करने वाले एक पूर्व छात्र की बातों को सुनने के बाद उन्होंने यूपीएससी को अपना लक्ष्य बनाया। दरअसल, अपने भाषण के दौरान पूर्व छात्र ने कहा था कि जो लोग बैकबेंच पर बैठते हैं,
वे भी आईएएस और आईपीएस अधिकारी बन सकते हैं। इसके बाद शैलेंद्र बाबू ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
लाखों लोगों के लिए प्रेरणा
शैलेंद्र बाबू ने यूपीएससी की तौयारी के साथ मदुरै से कृषि में बीएससी किया और फिर कोयंबटूर में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय चले गए।
उन्होंने अन्नामलाई विश्वविद्यालय से जनसंख्या अध्ययन में बीजीएल और एमए की डिग्री भी प्राप्त की है। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से ‘लापता बच्चों’ पर अपनी थीसिस के लिए पीएचडी भी की है और मानव संसाधन में एमबीए हैं। इसके साथ उन्होंने कई किताबें लिखी हैं।
फिटनेस के लिए जाने जाते हैं शैलेंद्र बाबू
शैलेंद्र बाबू अपनी फिटनेस और एथलेटिक क्षमता के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने 2004 में बैंकाक में एशियाई मास्टर्स एथलेटिक चैंपियनशिप में 100 मीटर स्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
सोशल मीडिया पर नियमित रूप से साइकिलिंग, डिस्टेंस रनिंग की उनकी तस्वीरें काफी पसंद की जाती हैं।