बर्ड फ्लू ने चिकन को बनाया सस्ता, 55 रुपये किलो में मिल रहा यहां

पिछले कुछ समय से देश के कई हिस्सों में बर्ड फ्लू (H5N1) की खबरें सुर्खियों में हैं। इस खबर ने लोगों के मन में इतना डर पैदा कर दिया है कि चिकन खाने की आदत तक बदल गई है। जहां पहले लोग चिकन को बड़े चाव से खाते थे, वहीं अब इसकी मांग में भारी कमी देखी जा रही है। आमतौर पर गर्मी के मौसम में पोल्ट्री उत्पादों की कीमतें बढ़ जाती हैं, लेकिन इस बार हालात बिल्कुल उलट हैं। पिछले दो महीनों में चिकन के दाम 25 से 30 प्रतिशत तक गिर गए हैं। बाजार में चिकन अब 55 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है, जो लोगों की डर और बदली हुई पसंद को साफ दिखाता है।
बर्ड फ्लू के मामले बढ़ने से मांग पर असर
बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद से कई राज्यों में हड़कंप मचा हुआ है। जनवरी से अब तक झारखंड, कर्नाटक, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पंजाब, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे नौ राज्यों में इसके मामले सामने आए हैं। खासकर झारखंड और कर्नाटक में तो हालात इतने गंभीर हो गए कि वहां मुर्गियों को बड़े पैमाने पर मारना पड़ा। इस सफाई अभियान ने न सिर्फ पोल्ट्री उद्योग को नुकसान पहुंचाया, बल्कि लोगों के मन में भी चिकन को लेकर शंका पैदा कर दी। नतीजा यह हुआ कि चिकन की खपत कम हो गई और बाजार में इसकी कीमतें नीचे लुढ़क गईं। यह स्थिति पोल्ट्री किसानों और व्यापारियों के लिए भी चिंता का सबब बन गई है।
चिकन की कीमतों में भारी गिरावट का नजारा
बर्ड फ्लू के डर का असर चिकन की कीमतों पर साफ देखा जा सकता है। जनवरी में दक्षिण भारत में चिकन का औसत एक्स-फार्म रेट 85 से 95 रुपये प्रति किलो के आसपास था, लेकिन अब यह घटकर 55 से 60 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। खुदरा बाजार में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं। पहले जहां चिकन 160 रुपये प्रति किलो तक बिकता था, वहीं अब यह 120 रुपये प्रति किलो में आसानी से मिल रहा है। इस गिरावट ने बाजार के पुराने नियमों को तोड़ दिया है, जो गर्मी में बढ़ती कीमतों के लिए जाना जाता था। लोगों का चिकन से मुंह मोड़ना इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है।
अंडों के दाम भी हुए कम
चिकन के साथ-साथ अंडों की कीमतों में भी कमी देखी जा रही है। दो महीने पहले थोक बाजार में एक अंडे की कीमत 4.15 रुपये थी, जो अब घटकर 3.60 रुपये प्रति अंडा रह गई है। बर्ड फ्लू की खबरों ने लोगों को अंडे खाने से भी थोड़ा दूर कर दिया है। हालांकि अंडों की मांग चिकन जितनी प्रभावित नहीं हुई, फिर भी कीमतों में यह गिरावट पोल्ट्री उद्योग के लिए मुश्किलें बढ़ा रही है। बाजार में सस्ते दामों पर सामान उपलब्ध होने के बावजूद लोग इसे खरीदने से हिचक रहे हैं, जिससे व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पोल्ट्री उद्योग पर मंडराया संकट
बर्ड फ्लू की वजह से पोल्ट्री उद्योग के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है। यह उद्योग पहले ही महामारी और बढ़ती लागत से जूझ रहा था, और अब मांग में कमी ने इसे और मुश्किल में डाल दिया है। किसानों का कहना है कि मुर्गियों को पालने की लागत तो वही है, लेकिन बिक्री से होने वाला मुनाफा लगातार कम हो रहा है। कई जगहों पर तो चिकन और अंडे लागत से भी कम दाम पर बिक रहे हैं। ऐसे में इस उद्योग को बचाने के लिए सरकार और लोगों की जागरूकता की जरूरत है। अगर सही जानकारी और सावधानी के साथ कदम उठाए जाएं, तो इस संकट से उबरा जा सकता है।