Chanakya Neeti : महिलाओं में होती हैं इन कामों को करने की पुरुषों से ज्यादा इच्छा, चाणक्य नीति के हिसाब से जानें
नई दिल्ली: आधुनिक दुनिया में भी, लाखों लोग प्रतिदिन कौटिल्य नीति को अपनी भाषा में पढ़ते हैं और उससे प्रेरित होकर, कई राजनेता, व्यापारी अभी भी चाणक्य उद्धरण को आधुनिक जीवन में उपयोगी पाते हैं।
आचार्य चाणक्य का ज्ञान राजनीति, व्यापार और धन के बारे में ज्ञान इतना सटीक है कि यह आज के युग में भी उपयोगी है। आचार्य चाणक्य का यह ज्ञान नीतिशास्त्र के रूप में जाना जाता है।
चाणक्य नीति आपको अपने जीवन में कुछ भी हासिल करने में मदद करती है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस क्षेत्र में हैं। यदि आप चाणक्य नीति को पूरी तरह से पढ़ते हैं और उसका अनुसरण करते हैं, तो कोई भी आपको सफल होने से रोक नहीं सकता आप कभी भी किसी के धोखे का शिकार नहीं होंगे और जीवन में हमेशा सफलता पाएंगे।
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ में स्त्रियों के बारे में वो खास बातें भी बताई हैं जो बातें स्त्रियां हमेशा अपने अंतर्मन में छिपा कर रखती हैं। वह यह बातें किसी से नहीं बताती। चाणक्य ने अपनी नीति में पुरुषों से स्त्रियों की तुलना करते हुए उनकी भावनाओं के बारे में बताया है।
आचार्य चाणक्य ने अपनी इस नीति में स्त्रियों की भूख, लज्जा यानी शर्म, साहस और काम भावना के बारे में बताया है। आइए जानते हैं ऐसी कौन सी बातें हैं जिन्हें महिलाएं सबसे साझा नहीं करती।
आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में स्त्रियों की इच्छाओं का वर्णन एक श्लोक के माध्यम से किया है। श्लोक इस प्रकार है-
स्त्रीणां द्विगुण आहारो लज्जा चापि चतुर्गुणा ।
साहसं षड्गुणं चैव कामश्चाष्टगुणः स्मृतः ॥
इस श्लोक के अनुसार महिलाओं में पुरुषों कि अपेक्षा:भूख दो गुना, लज्जा चार गुना, साहस छः गुना, और काम आठ गुना होती है।
आचार्य चाणक्य के उपरोक्त श्लोक के अनुसार महिलाओं की ताकत का वर्णन है। आचार्य चाणक्य के मुताबिक स्त्रियों में पुरुष के मुकाबले उनकी भूख दोगुनी होती हैं। आज की जीवनशैली में महिलाओं को कामकाज के कारण खानपां बिगड़ गया है लेकिन वह अपने भूख पर काबू रख लेती हैं।
आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति के अनुसार स्त्रियों में शर्म यानी लज्जा पुरुषों से चार गुना ज्यादा होती है। महिलाओं में शर्म इतनी ज्यादा होती है कि वह किसी भी बात को कहने में कई बार सोचती हैं।
चाणक्य नीति के अनुसार महिलाएं शुरू से ही साहसी होती हैं। वहीं स्त्रियों में पुरुष से छ: गुना साहस भी होता है। इसलिए ही स्त्रियों को शक्ति स्वरूप भी माना गया है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार स्त्रियों में काम इच्छा भी पुरुषों से आठ गुना ज्यादा होती है, लेकिन उनमें लज्जा और सहनशीलता अत्यधिक होती है जिस वजह से वह इसको उजागर नहीं करतीं और अपने संस्कार को ध्यान में रखते हुए पूरी मर्यादा से परिवार को संभालने का कार्य करती हैं।