पिता बन गया बेटी का दूल्हा, जानें इस परंपरा का काला सच!

दुनिया में हर समाज की अपनी परंपराएं होती हैं। कुछ खूबसूरत होती हैं, तो कुछ ऐसी जो इंसानियत पर सवाल खड़े कर देती हैं। ऐसा ही एक रिवाज बांग्लादेश के मंडी आदिवासी समुदाय से सामने आया है, जिसे सुनकर किसी का भी मन विचलित हो जाए। यह परंपरा इतनी अजीब और दर्दनाक है कि इसे समझना भी मुश्किल है। तो आखिर क्या है यह रिवाज और क्यों है इतना विवादास्पद? आइए जानते हैं।
पिता से पति बनने का अनोखा रिवाज
मंडी समुदाय में एक बेहद चौंकाने वाली प्रथा सालों से चली आ रही है। इसके तहत अगर कोई पुरुष किसी विधवा महिला से शादी करता है, तो उसे उस महिला की पहली शादी से हुई बेटी से भी विवाह करने का अधिकार मिल जाता है। यानी जिस बच्ची ने उस पुरुष को अपने पिता की तरह देखा, वही बड़ा होने पर उसका पति बन जाता है। यह सुनने में जितना अटपटा लगता है, उससे कहीं ज्यादा यह भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। क्या कोई बेटी अपने पिता के साथ ऐसी जिंदगी की कल्पना कर सकती है? यह सवाल हर उस इंसान के मन में उठता है जो इस परंपरा के बारे में सुनता है।
मासूमियत का शोषण और नैतिकता पर सवाल
इस रिवाज का सबसे दुखद पहलू यह है कि यह उन मासूम बच्चियों के बचपन को छीन लेता है, जो अपने परिवार से सिर्फ प्यार और सुरक्षा चाहती हैं। जिस उम्र में उन्हें सपने देखने और पढ़ने-खेलने का हक होना चाहिए, उस उम्र में उन्हें ऐसी परिस्थिति में धकेल दिया जाता है जो उनके मन और आत्मा को तोड़ देती है। यह परंपरा न सिर्फ भावनात्मक शोषण को बढ़ावा देती है, बल्कि नैतिकता की हर सीमा को लांघती है। समाज में बेटियों को सम्मान देने की बातें तो खूब होती हैं, लेकिन इस तरह की प्रथाएं हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हम सचमुच तरक्की कर रहे हैं?
क्यों बनी यह परंपरा?
इस रिवाज के पीछे की वजह को समझना भी जरूरी है। मंडी समुदाय में इसे संपत्ति और परिवार को एकजुट रखने का तरीका माना जाता है। उनका मानना है कि विधवा की बेटी से शादी करने से घर की जमीन और संसाधन बाहर नहीं जाते। लेकिन क्या संपत्ति की खातिर किसी की जिंदगी से खिलवाड़ करना सही है? यह सवाल आज भी अनुत्तरित है। यह प्रथा भले ही उनके लिए सामान्य हो, लेकिन बाहरी दुनिया इसे इंसानियत के खिलाफ मानती है।