IAS Deepak Rawat Story: पापा ने बंद कर दिया था पॉकेट मनी देना तो ऐसे चलाया खर्च और बने IAS, पढ़िए पूरी कहानी

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IAS Deepak Rawat Story: पापा ने बंद कर दिया था पॉकेट मनी देना तो ऐसे चलाया खर्च और बने IAS, पढ़िए पूरी कहानी

IAS Deepak Rawat


Deepak Rawat IAS Uttarakhand : साल-दर-साल सैकड़ों और हजारों छात्र सिविल सेवा परीक्षा को पास करने का प्रयास करते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही ऐसा कर पाते हैं.

UPSC परीक्षा में सभी उम्मीदवारों की अपनी अलग रणनीति होती है और बहुत कम ऐसे होते हैं जिनकी रणनीति पहले ही प्रयास में कारगर साबित होती है. आईएएस अधिकारी बनना एक बड़ी बात है और देश में सबसे सम्मानित पेशों में से एक है.

एक आईएएस अधिकारी का जीवन कई चुनौतियों से भरा होता है. IAS बनने के लिए तैयारी के सैकड़ों घंटे की मेहनत लगती है. ऐसा कहा जाता है कि कोई नहीं जानता कि जीवन आपको कहां ले जाएगा.

यह आईएएस दीपक रावत पर बिल्कुल फिट बैठता है, जिनकी फेसबुक पर बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है. YouTube पर उनके 4 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं, और 14,000 से ज्यादा लोग ट्विटर पर उनको फॉलो करते हैं.

उत्तराखंड में पले-बढ़े, वह अब लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं, लेकिन दूसरों की तरह दीपक को भी अपने सपने को हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ा. 24 सितंबर 1977 को जन्मे दीपक रावत उत्तराखंड के मसूरी के बरलोगंज के रहने वाले हैं.

उन्होंने सेंट जॉर्ज कॉलेज, मसूरी में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की, और हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया. उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुशन  किया और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमफिल किया है.

जब दीपक के पिता ने उन्हें पॉकेट मनी देना बंद कर दिया

जब वह 24 साल के थे, तो उनके पिता ने उन्हें खुद पैसे कमाने के लिए कहा और पॉकेट मनी देना बंद कर दिया. जेएनयू से एमफिल करने वाले रावत 2005 में जेआरएफ के लिए चुने गए, जहां उन्हें 8000 रुपये प्रति माह मिलने लगे जिससे उन्हें अपने खर्चों चलाने में मदद मिली.

दो असफल प्रयासों के बाद दीपक ने UPSC पास किया

यूपीएससी पाठशाला के मुताबिक, ग्रेुजएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके जीवन में एक मोड़ आया जब वे बिहार के कुछ छात्रों से मिले, जो यहां से यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे.

दीपक ने इस क्षेत्र में रुचि विकसित की, और सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी, लेकिन अपने पहले दो प्रयासों में परीक्षा में सफल नहीं हो सके. उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में परीक्षा पास की.

एक आईआरएस अधिकारी के रूप में चुने गए और एक आईएएस के रूप में नहीं, उन्होंने फिर से परीक्षा की तैयारी की और आईएएस की वह स्थिति हासिल की जो वह हमेशा से चाहते थे.

दीपक ने साल 2007 में यूपीएससी परीक्षा पास करने और उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी बनने के बाद लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में अपना प्रशिक्षण पूरा किया.

रागमणी बनना चाहते थे दीपक रावत

दीपक जब 11वीं-12वीं कक्षा में थे, तब ज्यादतर स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग या डिफेंस के लिए जाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन उन्हें डिब्बे, खाली टूथपेस्ट ट्यूब आदि जैसी चीजों में दिलचस्पी थी.

दीपक ने एक इंटरव्यू में कहा. जब लोगों ने उनसे पूछा कि सिविल सेवा नहीं तो वह करियर के रूप में क्या चुनते, उन्होंने कहा, 'कबाड़ीवाला'. दीपक रावत को लगा कि कबाड़ीवाला बनने से उन्हें अलग-अलग चीजें तलाशने का मौका मिलेगा.

IAS Deepak Rawat UPSC Rank

दो असफल प्रयासों के बाद, दीपक रावत ने 2007 में यूपीएससी एग्जाम क्रैक किया और ऑल इंडिया रैंक 12 हासिल की. मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में अपना प्रशिक्षण पूरा किया. 

दीपक रावत ने विजेता सिंह से शादी की जो न्यायिक सेवाओं में एक अधिकारी हैं और दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रह चुकी हैं. हंसराज कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उसकी मुलाकात उससे हुई और दोनों में प्यार हो गया. दोनों के दो बच्चे हैं.

आईएएस दीपक रावत एक प्रेरणादायक व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने जीवन की सभी बाधाओं को पार किया और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए अपनी पूरी प्रतिबद्धता और समर्पण दिया और दो असफल प्रयासों के बाद यूपीएससी परीक्षा को पास किया.

आईएएस अधिकारी बनने के बाद उनकी सारी मेहनत रंग लाई. उनकी कहानी हमें बताती है कि किसी भी चीज को नहीं छोड़ना चाहिए. फोकस करें और आप जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे.