IPS Divya Tanwar : मां करती थी मजदूरी, खुद नहीं मानी हार; 21 साल की उम्र में बनीं IPS ऑफिसर

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IPS Divya Tanwar : मां करती थी मजदूरी, खुद नहीं मानी हार; 21 साल की उम्र में बनीं IPS ऑफिसर

IPS Divya Tanwar


IPS Divya Tanwar Success Story : UPSC की परीक्षा को दुनिया की सबसे टफ परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इसे पास करने का सपना तो हर कोई देखता है लेकिन इसे पास केवल चुनिंदा लोग ही कर पाते हैं। क्योकि इसे पास करने के लिए दिन रात मेहनत करनी पड़ती है।

इसके साथ ही लगभग हर विषय का ज्ञान होना भी जरूरी है। अगर कोई यूपीएससी परीक्षा को पास कर लेता है तो आसपास के इलाके में उसके चर्चे शुरू हो जाते हैं। साथ ही बता दें इनमें सफल होने वाले उम्मीदवारों को उनकी रैंक और वरीयता के आधार पर IAS, IPS, IFS आदि पद अलॉट किए जाते हैं।

वहीं इसी बीच आज हम आपको एक ऐसी ही आईपीएस महिला की सफलता की कहानी बताने जा रहे है सोशल मीडिया स्टार होने के साथ साथ आईपीएस भी बन गई। यह शख्सियत कोई और नहीं बल्कि आईपीएस दिव्या तंवर है। 

आईपीएस दिव्या तंवर 2021 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने 2021 में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 438 के साथ संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा पास की। 

उन्होंने अपने पहले अटेंप्ट में 21 साल की उम्र में परीक्षा पास की। वह यूपीएससी परीक्षा के कई उम्मीदवारों के लिए एक मोटिवेशन हैं और उनके वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं। 

आईपीएस दिव्या तंवर हरियाणा के महेंद्रगढ़ की रहने वाली हैं।  आईपीएस दिव्या तंवर ने शुरुआत में अपने होम टाउन के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की, लेकिन बाद में उनका चयन नवोदय विद्यालय महेंद्रगढ़ के लिए हो गया। 

उनके पास विज्ञान (बीएससी) में स्नातक की डिग्री है।  ग्रेजुएशन के बाद ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने 1.5 साल की तैयारी के साथ अपना पहला यूपीएससी अटेंप्ट दिया। 

उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. 2011 में पिता की मौत के बाद परिवार को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।  दिव्या पढ़ाई में होशियार थीं और इसीलिए उनकी मां बबिता तंवर उनका साथ देती हैं। 

दिव्या ने कोई कोचिंग नहीं ली और यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली. बाद में, उन्होंने अपनी यूपीएससी मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए टेस्ट सीरीज समेत अलग अलग ऑनलाइन सोर्सेज से मदद ली।

प्रीलिम्स क्लियर करने के बाद वह यूपीएससी कोचिंग मेंटरशिप प्रोग्राम में शामिल हुईं। उसके पास उचित वित्तीय सहायता नहीं थी, लेकिन उनकी मां ने हमेशा अपनी बेटी को पढ़ाई करने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

दिव्या जब परीक्षा की तैयारी कर रही थीं तब उनकी मां बबिता ने भी उन्हें आर्थिक मदद की थी।