IPS Story: बंदूकों के साए में गुजरा बचपन, ऐसी है कश्मीर की पहली मुस्लिम IPS अफसर की कहानी

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IPS Story: बंदूकों के साए में गुजरा बचपन, ऐसी है कश्मीर की पहली मुस्लिम IPS अफसर की कहानी

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कश्मीर में अपनी पढ़ाई-लिखाई कर रही थीं तब उनके पिता अक्सर उनसे कहा करते थे कि उन्हें आईएएस अफसर बनना चाहिए. उस वक्त उन्होंने पहली बार आईएएस अफसर बनने के बारे में सोचा था. डॉ. रुवेदा सलाम ने कहा था कि पिता की कही बात से उन्हें प्रेरणा मिली और फिर उन्होंने इसे अपना लक्ष्य बना लिया.

डॉ. रुवेदा सलाम इंडियन पुलिस सर्विस कैडर के लिए सलेक्ट हुई थीं. वह ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद गईं. यह ट्रेनिंग बहुत हार्ड ट्रेनिंग थी. ट्रेनिंग के बाद उन्होंने  तमिलनाडु में आईपीएस कैडर में जॉइन किया. इसके बाद वह चेन्नई में बतौर असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस काम किया.

डॉ. रुवेदा सलाम को कश्मीर घाटी की पहली महिला आईपीएस अफसर होने का गौरव हासिल है. हालांकि बाद में वो आईएएस के लिए चुन ली गईं. डॉक्टर रुवेदा सलाम ने यूपीएससी क्लियर करने से पहले मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया.

इस दौरान मेडिसिन की पढ़ाई के साथ-साथ वो कई अन्य किताबें भी पढ़ती थीं. इसके बाद उन्होंने कश्मीर स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस परीक्षा पास की. इसके बाद उन्होंने मेडिसिन में ग्रेजुएशन के बजाए यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी.

कुपवाड़ा की रहने वाली रुवेदा को कविताओं का काफी शौक है. वो स्थानीय लोगों से मिलने और उनकी संस्कृति के बारे में जानने को लेकर भी काफी उत्सुक रहती हैं. रुवेदा सलाम आईपीएस बन चुकी थीं. जब उन्होंने दोबारा यूपीएससी की परीक्षा दी तब वो आईएएस के लिए चुन ली गई थीं.

साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान यूथ-20 में भारत का प्रतिनिधित्व करके उन्होंने पूरे देश का मान बढ़ाया था. इस सम्मेलन में हर देश से पांच युवाओं को चुनकर भेजा जाता है.

यहां उन्होंने अपना एक पेपर भी प्रेजेंट किया था. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि, कुपवाड़ा में आतंकी माहौल रहता था. मेरा बचपन खून-खराबे से भरा था. 90 के दशक में तो हालात इतने खराब थे कि एक साल तक मेरा स्कूल बंद रहा.