महाकुंभ में दिखी मानवता की मिसाल: एक मुस्लिम पुलिसकर्मी ने कैसे बचाई हिंदू महिला की जान

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महाकुंभ में दिखी मानवता की मिसाल: एक मुस्लिम पुलिसकर्मी ने कैसे बचाई हिंदू महिला की जान

Maha Kumbha

Photo Credit: Maha Kumbh


महाकुंभ 2025 में मानवता की एक ऐसी मिसाल देखने को मिली, जिसने सांप्रदायिक सद्भाव की नई इबारत लिख दी। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ की स्थिति में एक मुस्लिम पुलिस सब-इंस्पेक्टर शमीम खान ने एक हिंदू महिला की जान बचाई, जिसने बाद में उन्हें 'देवदूत' की उपाधि दी।


यह घटना मौनी अमावस्या के पवित्र स्नान के दौरान हुई, जब लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने पहुंचे थे। भारी भीड़ में एक महिला अपने परिवार से बिछड़ गई और उसकी स्थिति बेहद दयनीय हो गई थी। इस दौरान ड्यूटी पर तैनात सब-इंस्पेक्टर शमीम खान ने न सिर्फ उस महिला को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, बल्कि उसके परिवार से भी मिलवाया।

इस घटना की खास बात यह है कि यह एक ऐसे समय में हुई जब महाकुंभ में सांप्रदायिक सद्भाव की कई मिसालें देखने को मिल रही हैं। मौनी अमावस्या के दिन जब भगदड़ मची, तो कई मस्जिदों और मदरसों ने अपने दरवाजे हिंदू श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए। जामा मस्जिद में 150 से अधिक श्रद्धालुओं को शरण दी गई, जबकि यादगार-ए-हुसैनी इंटर कॉलेज में करीब 500 लोगों को आश्रय मिला।


शमीम खान की इस मानवीय पहल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि धर्म से ऊपर मानवता है। उन्होंने अपनी ड्यूटी को न सिर्फ एक पुलिसकर्मी के रूप में, बल्कि एक संवेदनशील इंसान के रूप में निभाया। महिला के परिवार से मिलने के बाद उसने कहा, "शमीम खान मेरे लिए देवदूत से कम नहीं हैं, उन्होंने मेरी जान बचाई और मुझे मेरे परिवार से मिलवाया।"


महाकुंभ 2025 की यह घटना हमें याद दिलाती है कि भारत की एकता और अखंडता की नींव धार्मिक सहिष्णुता और मानवीय मूल्यों पर टिकी है। जहां एक तरफ मौनी अमावस्या पर लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए उमड़े, वहीं दूसरी तरफ धर्म और जाति से ऊपर उठकर लोगों ने एक-दूसरे की मदद की।


यह कहानी सिर्फ एक पुलिसकर्मी और एक श्रद्धालु की नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज की उस सामाजिक एकता का प्रतीक है, जो सदियों से हमारी सभ्यता की पहचान रही है। शमीम खान की इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि मानवता सबसे बड़ा धर्म है, और सेवा ही सच्ची इबादत है। यह घटना हमें सिखाती है कि सच्ची मानवता धर्म और जाति की सीमाओं से परे है। महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में दिखी यह एकता की मिसाल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।