चमत्कार या तकनीक का कमाल? दुनिया का पहला AI से जन्मा बच्चा!

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चमत्कार या तकनीक का कमाल? दुनिया का पहला AI से जन्मा बच्चा!

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Photo Credit: Social Media


क्या आपने कभी सोचा था कि मशीनें इंसानी जिंदगी की शुरुआत में इतनी बड़ी भूमिका निभा सकती हैं? मैक्सिको के ग्वाडलाजारा शहर में एक ऐसी घटना घटी, जिसने विज्ञान और तकनीक की दुनिया में हलचल मचा दी। एक 40 साल की महिला ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मदद से एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। यह कोई साधारण बात नहीं, बल्कि दुनिया का पहला ऐसा मामला है, जहां AI ने पूरी तरह से एक बच्चे के जन्म की प्रक्रिया को संभाला। आइए, इस अनोखी कहानी को और करीब से जानते हैं।

मशीनों ने रचा इतिहास

ग्वाडलाजारा में हुई इस घटना में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) की प्रक्रिया को AI ने पूरी तरह से नियंत्रित किया। आमतौर पर IVF में विशेषज्ञ डॉक्टर सावधानी से स्पर्म को अंडाणु में इंजेक्ट करते हैं, लेकिन इस बार यह काम एक हाई-टेक मशीन ने किया। इस प्रक्रिया को इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) कहते हैं, जिसमें स्पर्म को सीधे अंडाणु में डाला जाता है। इस बार इंसानी हाथों की जगह AI ने हर कदम को बारीकी से अंजाम दिया, जिसने न सिर्फ स्पर्म को चुना, बल्कि उसे लेजर की मदद से अंडाणु में इंजेक्ट भी किया। इस पूरी प्रक्रिया में हर अंडाणु को फर्टिलाइज करने में करीब 10 मिनट का समय लगा। नतीजा? एक स्वस्थ बच्चे का जन्म, जो आज दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया है।

AI ने कैसे किया यह जादू?

इस तकनीक के पीछे न्यूयॉर्क और मैक्सिको के वैज्ञानिकों की एक मेहनती टीम थी, जिसने एक ऐसा सिस्टम बनाया, जो ICSI के 23 जटिल चरणों को पूरी तरह से स्वचालित तरीके से संभाल सकता है। इस सिस्टम में AI और डिजिटल तकनीक का ऐसा तालमेल था कि यह न सिर्फ सटीक था, बल्कि इंसानी गलतियों से भी मुक्त था। इस मशीन ने स्पर्म का चयन किया, उसकी गतिशीलता को लेजर से नियंत्रित किया और फिर उसे अंडाणु में डाला। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक ने IVF की प्रक्रिया को पहले से कहीं ज्यादा भरोसेमंद और तेज बना दिया। इस प्रक्रिया में पांच में से चार अंडाणु सफलतापूर्वक फर्टिलाइज हुए, और अंत में एक स्वस्थ भ्रूण तैयार हुआ, जिसे बाद में ट्रांसफर किया गया।

क्यों खास है यह तकनीक?

इस तकनीक के जनक और मशहूर भ्रूणविज्ञानी डॉ. जैक्स कोहेन का मानना है कि AI ने IVF की दुनिया में एक नया अध्याय शुरू किया है। उनके मुताबिक, यह तकनीक न सिर्फ प्रक्रिया को तेज करती है, बल्कि गलतियों की आशंका को भी लगभग खत्म कर देती है। इससे अंडाणुओं की गुणवत्ता बनी रहती है, और सफलता की दर बढ़ती है। सबसे बड़ी बात, यह तकनीक उन दंपतियों के लिए उम्मीद की किरण बन सकती है, जो सालों से संतान सुख की चाहत में भटक रहे हैं। इस तकनीक से IVF का खर्च भी भविष्य में कम हो सकता है, जिससे यह और भी सुलभ हो जाएगी।