रमज़ान 2025 की तैयारी शुरू! जानिए किस दिन से रखेंगे रोज़ा, सहरी-इफ्तार के नियम और ईद की तारीख

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रमज़ान 2025 की तैयारी शुरू! जानिए किस दिन से रखेंगे रोज़ा, सहरी-इफ्तार के नियम और ईद की तारीख

Ramadan 2024

Photo Credit: Wasim Abbasi


इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमज़ान का महीना चांद के दिखाई देने के बाद ही शुरू होता है। 2025 में रमज़ान की शुरुआत की तारीखें अलग-अलग स्रोतों में थोड़ी भिन्न बताई जा रही हैं। 28 फ़रवरी को चाँद दिखता है तो रमज़ान 1 मार्च से 30 मार्च तक चलेगा, जबकि अन्य स्रोतों में 2 मार्च से 1 अप्रैल की तारीखें भी सामने आई हैं। यह अंतर इसलिए है क्योंकि चांद के दिखाई देने के आधार पर तारीखें तय की जाती हैं।

चांद के दीदार का महत्व

रमज़ान की शुरुआत के लिए चांद का दिखाई देना अनिवार्य है। यह प्रक्रिया इस्लामिक कैलेंडर के नौवें महीने (रमज़ान) के आगमन को दर्शाती है। भारत में चांद दिखाई देने के बाद ही रोज़ों की तारीखें निर्धारित की जाती हैं। इस बार चांद 28 फरवरी या 1 मार्च को दिखाई देने की उम्मीद है, जिसके बाद रमज़ान की शुरुआत होगी।

रमज़ान का महत्व: रहमत, बरकत और मगफिरत

रमज़ान के 30 दिनों को तीन भागों में बांटा जाता है:

  • पहले 10 दिन: रहमत (अल्लाह की मेहरबानी)

  • मध्य 10 दिन: बरकत (धन्य)

  • आखिरी 10 दिन: मगफिरत (पापों की माफी)
    इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोज़ा रखते हैं और अल्लाह की इबादत में जुट जाते हैं।

सहरी और इफ्तार 

रोज़ा रखने से पहले सूर्योदय से ठीक पहले सहरी कीजाती है। इसमें खजूर, दही, और प्रोटीन युक्त खाने का सेवन किया जाता है। शाम को सूर्यास्त के बाद इफ्तार के साथ रोज़ा खोला जाता है। इफ्तार में भी खजूर के साथ फल, नमकीन और हल्के व्यंजन शामिल होते हैं।

रमज़ान के दौरान नमाज़ का महत्व

रमज़ान में पांच वक्त की नमाज़ के साथ तरावीह नमाज़ भी विशेष रूप से पढ़ी जाती है। यह नमाज़ रात में कुरान की तिलावत के साथ अदा की जाती है। इसके अलावा, लैलत-उल-क़द्र (रमज़ान के आखिरी 10 दिनों में) को सबसे पवित्र रात माना जाता है।

रमज़ान के बाद ईद-उल-फितर

रमज़ान के अंत में ईद-उल-फितर मनाई जाती है। 2025 में यह त्योहार 31 मार्च या 1 अप्रैल को मनाया जाएगा। ईद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग नए कपड़े पहनते हैं, सेवइयां बनाते हैं, और एक-दूसरे को मुबारकबाद देते हैं।

रमज़ान की तैयारी के टिप्स

  • सहरी में पोषण: सहरी में प्रोटीन और फाइबर युक्त खाना खाएं।

  • इफ्तार में संतुलन: इफ्तार में नमकीन और मीठे के साथ फल भी शामिल करें।

  • नमाज़ का समय: रमज़ान के दौरान नमाज़ के समयों को नोट करें।

  • दान देना: रमज़ान में दान (ज़कात) देना फर्ज होता है।

एक पवित्र महीने की शुरुआत

रमज़ान न केवल उपवास का महीना है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जुड़ाव का समय भी है। चाहे तारीखें 1 मार्च हों या 2 मार्च, मुस्लिम समुदाय इसे पूरी श्रद्धा से मनाएगा। ईद-उल-फितर के साथ इस महीने का समापन होगा, जो प्रेम और एकता का प्रतीक है।

यह पवित्र महीना न सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक एकता को भी मजबूत करता है। चांद के दीदार के साथ शुरू होने वाले इस सफर में हर मुस्लिम का दिल अल्लाह की इबादत में डूब जाता है। रमज़ान की शुभकामनाएं! 🌙✨