दो नहीं, पांच किडनी के साथ जी रहे हैं ये वैज्ञानिक: जानिए कैसे मिली उन्हें नई जिंदगी

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दो नहीं, पांच किडनी के साथ जी रहे हैं ये वैज्ञानिक: जानिए कैसे मिली उन्हें नई जिंदगी

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Photo Credit: Social Media


नई दिल्ली के 47 वर्षीय वैज्ञानिक देवेंद्र बार्लेवार की कहानी चिकित्सा जगत में एक अद्भुत उदाहरण बन गई है। रक्षा मंत्रालय में कार्यरत इस वैज्ञानिक के शरीर में अब पांच किडनी हैं, जिनमें से केवल एक ही कार्यशील है। यह अविश्वसनीय लगने वाली घटना वास्तव में चिकित्सा विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि है।

किडनी की लड़ाई: शुरुआत से अब तक

देवेंद्र बार्लेवार का क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) से संघर्ष 2010 में शुरू हुआ। उस समय से उन्हें लगातार डायलिसिस की आवश्यकता पड़ रही थी। उनका पहला किडनी ट्रांसप्लांट 2010 में हुआ, जब उनकी माता ने अपनी एक किडनी दान की। लेकिन यह किडनी केवल एक वर्ष तक ही काम कर पाई। 2012 में उन्हें दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट किया गया, जो एक रिश्तेदार ने दान किया था। यह किडनी 2022 तक अच्छी तरह से काम करती रही।

कोविड-19 का प्रभाव और तीसरा ट्रांसप्लांट

2022 में देवेंद्र कोविड-19 से संक्रमित हो गए, जिसके कारण उनकी दूसरी ट्रांसप्लांट की गई किडनी भी काम करना बंद कर दी। इसके बाद उन्हें फिर से डायलिसिस पर लौटना पड़ा। इस बार कोई जीवित दाता उपलब्ध नहीं था, इसलिए 2023 में उन्होंने मृत दाता से अंग प्राप्त करने के लिए अपना नाम पंजीकृत करवाया।

अद्भुत सर्जरी: पांचवीं किडनी का प्रत्यारोपण

9 जनवरी, 2025 को फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में डॉ. अनिल शर्मा के नेतृत्व में एक जटिल सर्जरी की गई। एक मस्तिष्क मृत किसान के परिवार ने बहु-अंग दान की सहमति दी, जिसमें मृतक की किडनी भी शामिल थी। चार घंटे की इस जटिल प्रक्रिया के बाद नई किडनी तुरंत कार्य करना शुरू कर दी और मूत्र उत्पादन शुरू हो गया।

चिकित्सकीय चुनौतियां और सफलता

डॉ. शर्मा ने बताया कि इस सर्जरी में कई चुनौतियां थीं। लंबे समय से चल रही क्रोनिक किडनी बीमारी और पिछले असफल ट्रांसप्लांट के कारण अंग अस्वीकरण का खतरा बहुत अधिक था। इसके अलावा, पहले से मौजूद चार किडनी के बीच पांचवीं किडनी को रखने के लिए जगह बनाना भी एक बड़ी चुनौती थी। मौजूदा इनसिजनल हर्निया ने इस प्रक्रिया को और भी जटिल बना दिया था।

रिकवरी और नई उम्मीद

सर्जरी के बाद देवेंद्र को डायलिसिस की आवश्यकता नहीं पड़ी। डॉक्टरों ने उन्हें अंग अस्वीकरण या रक्तस्राव जैसी जटिलताओं के लिए कड़ी निगरानी में रखा। खुशी की बात यह है कि 10 दिनों के बाद उन्हें सामान्य किडनी फंक्शन के साथ अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

देवेंद्र की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजनाएं

वर्तमान में 44 किलोग्राम वजन के साथ, देवेंद्र ने डायलिसिस से मुक्ति पर राहत व्यक्त की। उन्होंने किडनी दाताओं की कमी को स्वीकार किया और अपने आप को भाग्यशाली माना कि उन्हें तीसरी किडनी मिल गई, जबकि अधिकांश लोगों के लिए एक भी प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण होता है। उन्होंने इसे जीवन का एक तीसरा मौका बताया। देवेंद्र ने कहा कि वे तीन महीने के आराम के बाद अपनी नियमित गतिविधियों को फिर से शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

चिकित्सा विज्ञान के लिए एक मील का पत्थर

देवेंद्र बार्लेवार का मामला चिकित्सा विज्ञान में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह न केवल तकनीकी प्रगति को दर्शाता है, बल्कि अंग दान के महत्व को भी रेखांकित करता है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे एक व्यक्ति की मृत्यु दूसरे के लिए नया जीवन बन सकती है।