Success Story: पहले अटेम्प्ट में केवल 1 अंक से मिली हार, दूसरे में भाई को खोने के गम ने तोड़ा, जानें IAS अर्पित के संघर्ष की कहानी

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Success Story: पहले अटेम्प्ट में केवल 1 अंक से मिली हार, दूसरे में भाई को खोने के गम ने तोड़ा, जानें IAS अर्पित के संघर्ष की कहानी

Arpit Gupta


Arpit Gupta Success Story : अक्सर हर सफल व्यक्ति के पीछे एक कहानी छिपी होती है जो हमें नई सीख देती है और आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट भी करते हैं. हम आज आपको बताने वाले हैं ऐसे ही एक शख्स की कहानी जिसने अपने प्रयास और अपने गम को अपनी शक्ति बनाकर सफलता हासिल की.

हम बात कर रहे हैं 24 वर्षीय आईएएस अर्पित गुप्ता की. बता दें कि अर्पित ने यूपीएससी की 2021 सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया  54वीं रैंक हासिल की. आइए आपको बताते हैं ये संघर्ष को अर्पित मोटिवेशनल कहानी.

हार के बावजूद किया बाउंसबैक

इस कहानी की शुरुआत असफलता से होती है. हम भी तो असफल होने पर कई बार अपनी किस्मत को कोसते हैं, लेकिन अर्पित ने हार नहीं मानी. अर्पित की माने तो यह किस्मत की नहीं, बल्कि हमारी प्रिपरेशन की कमी है.

आपको बता दें कि अर्पित यूपीएससी एग्जाम के पहले प्रयास में परीक्षा तक पहुंचे, लेकिन कटऑफ में मात्र एक अंक कम होने से लिस्ट से बाहर हो गए. हालांकि, उनके लिए यह दौर बेहद मुश्किल था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

जिसके बाद उन्होंने दोबारा बाउंसबैक किया और सिविल सेवा परीक्षा में 54वीं रैंक  पाकर आईएएस ऑफिसर बने. उन्होंने यह साबित कर दिया कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

सीएम सिटी गोरखपुर के रहने वाले हैं अर्पित

आपको बता दें कि अर्पित उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले हैं. अपनी 8वीं तक की पढ़ाई उन्होंने गोरखपुर से ही पूरी की, जिसके बाद वह मैकेनिकल से इंजीनियरिंग करने के लिए रुड़की चले गए.

इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए राजधानी दिल्ली का रुख किया. जहां यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी.

साल 2020 में अर्पित ने यूपीएससी का फर्स्ट अटेम्पट दिया, लेकिन प्रीलिम्स के पहले उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई. बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और प्रीलिम्स परीक्षा में भाग लिया.

तपते बुखार में दिया एग्जाम

ऐसा नहीं था कि खराब सेहत अर्पित के लिए कोई पहली चुनौती नहीं थी. उससे भी बड़ी चुनौती उनका इंतजार कर रही थी. अर्पित को मेंस परीक्षा से पहले चिकन पॉक्स यानी छोटी माता निकल आई.

फिर भी बुखार में तपते हुए उन्होंने मेंस का पेपर दिया. उन्हें उम्मीद थी कि वह सफल होंगे लेकिन, रिजल्ट उनकी अपेक्षा के विपरीत आया. मात्र एक नंबर से वह चूक गए.

आपको बता दें कि उस साल जनरल कैटेगरी का मेंस का कट ऑफ 736 गया, लेकिन अर्पित को 735 अंक मिले. वह पहले प्रयास में ही इंटरव्यू तक पहुंचना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

एक नंबर से मिली हार बहुत खलती है

कहते हैं ना कि जब हार का मार्जिन ज्यादा हो तो दुख होता है, लेकिन एक नंबर या कुछ पाइंट्स की कमी से मिली असफलता बहुत दुख देती है. अर्पित के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. ऐसा पहली बार हुआ जब वह टूट कर खूब रोए.

लोगों के ताने और किस्मत का रोना सुनकर उनके कान पक गए. सभी लोग कहने लगे कि किस्मत में ही नहीं था, नहीं तो एग्जाम क्लियर हो जाता. इन तमाम बातों से किनारा करते हुए अर्पित उठ खड़े हुए.

उन्होंने दोबारा तैयारी शुरू कर दी. अर्पित की माने तो उनकी तैयारी में ही कुछ कमी रह गई थी, इसलिए उन्हें सफलता नहीं मिली.

आगे आने वाली थी बड़ी चुनौती

नंबर की असफलता के बाद और बड़ी चुनौती अर्पित का इंतजार कर रही थी, जिसका उन्हें कोई अंदाजा भी नहीं था. अपने दूसरे प्रयास के दौरान अर्पित ने अपने चचेरे भाई को खो दिया, जिसके बाद कई दिनों तक भाई के गम को लेकर परेशान रहे.

फिर भी उन्होंने हिम्मत जुटाई और खुद को तैयार किया और अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया 54वीं रैंक हासिल की.

मात्र 24 साल की उम्र में उन्होंने तमाम समस्याओं से जूझते हुए यह सफलता हासिल की जो करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है. इसलिए मेहनत का कोई विकल्प नहीं और संकल्प बिना कोई मेहनत नहीं. आशा करते हैं आपको यह लेख पसंद आया होगा.