UPSC छात्रा ने लाखों के नोट्स 230 रुपये में बेचे, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे!

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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UPSC छात्रा ने लाखों के नोट्स 230 रुपये में बेचे, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे!

Aditi

Photo Credit: Social Media


यूपीएससी की परीक्षा भारत में लाखों युवाओं का सपना है, लेकिन इस कठिन राह में हर कदम पर मेहनत और धैर्य की परीक्षा होती है। कुछ लोग इस सपने को हकीकत में बदल लेते हैं, तो कुछ को असफलता का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही एक प्रेरक कहानी है कोलकाता की अदिति जायसवाल की, जिन्होंने अपनी यूपीएससी की पढ़ाई के नोट्स और किताबें, जिनकी कीमत लाखों में थी, सिर्फ 230 रुपये में कबाड़ी वाले को बेच दीं। यह फैसला सुनने में चौंकाने वाला हो सकता है, लेकिन इसके पीछे की कहानी भावनाओं और हिम्मत से भरी है। आइए, इस अनोखी घटना को करीब से समझते हैं।

यूपीएससी: सपनों की कठिन डगर

यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) की परीक्षा को देश की सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में से एक माना जाता है। हर साल लाखों उम्मीदवार इस कठिन राह पर चलते हैं, जहां मेहनत, लगन और मानसिक मजबूती की जरूरत होती है। इस परीक्षा की तैयारी के लिए उम्मीदवार दिन-रात किताबों, नोट्स और कोचिंग सामग्री में डूबे रहते हैं। लेकिन कई बार, सारी मेहनत के बावजूद सफलता नहीं मिलती। ऐसे में निराशा और भावनात्मक बोझ से जूझना पड़ता है। अदिति जायसवाल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जो यूपीएससी की इस कठिन यात्रा का हिस्सा रही हैं।

नोट्स बेचने का फैसला: भावनाओं का बोझ उतारना

अदिति ने हाल ही में अपने यूपीएससी के नोट्स और किताबें कबाड़ी वाले को बेचने का फैसला किया। इन नोट्स और किताबों की कीमत करीब 1 लाख रुपये थी, लेकिन कबाड़ी वाले ने इन्हें तौलकर सिर्फ 230 रुपये दिए। अदिति ने अपनी इस भावनात्मक यात्रा को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया। उन्होंने लिखा कि यह फैसला लेना आसान नहीं था। उनके नोट्स उनकी मेहनत, सपनों और अनगिनत रातों की जागरण की गवाही थे। फिर भी, उन्होंने इस बोझ को उतारने का फैसला किया। अदिति ने बताया कि कई लोगों ने सुझाव दिया कि वह ये नोट्स किसी और को दे देतीं, लेकिन यह इतना आसान नहीं था। उनके शब्दों में, “कोई भी उन नोट्स को नहीं लेना चाहता, जिनके बारे में पता हो कि इन्हें इस्तेमाल करने वाला सफल नहीं हुआ।”


एक नई शुरुआत की हिम्मत

अदिति का यह कदम सिर्फ किताबें बेचने का फैसला नहीं था, बल्कि यह उनकी भावनात्मक और मानसिक मजबूती का प्रतीक था। यूपीएससी की तैयारी के दौरान हर उम्मीदवार न केवल किताबों का बोझ ढोता है, बल्कि असफलता के डर और सामाजिक दबाव का सामना भी करता है। अदिति ने अपने नोट्स बेचकर न केवल इस बोझ को कम किया, बल्कि एक नई शुरुआत की हिम्मत दिखाई। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोलकाता में कोई उनकी किताबें लेना चाहता है, तो वह खुशी-खुशी दे देंगी। यह उनकी उदारता और सकारात्मक सोच को दर्शाता है।

समाज से अपील: सपनों का सम्मान करें

अदिति की कहानी हमें यह सिखाती है कि असफलता जीवन का अंत नहीं है। यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में हिस्सा लेना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। समाज को चाहिए कि वह ऐसे युवाओं की मेहनत और हिम्मत का सम्मान करे, न कि उनकी असफलता को आंकने लगे। अदिति ने अपने नोट्स बेचकर यह दिखाया कि सपनों को छोड़ना नहीं, बल्कि नई राह तलाशना असली हिम्मत है। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो किसी बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।