मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब का ये राज़ नहीं जानते आप! टोपियाँ बेचकर करते थे गुज़ारा, जानिए उनकी अनोखी कहानी

मुग़ल साम्राज्य के छठे बादशाह औरंगज़ेब का नाम इतिहास में कठोर शासन और धार्मिक कट्टरता के लिए जाना जाता है। लेकिन उनके जीवन का एक पहलू ऐसा है, जो शायद ही किसी को पता होगा। यहाँ हम बात करेंगे औरंगज़ेब के उस पहलू की, जो उन्हें एक सामान्य व्यक्ति की तरह पेश करता है।
टोपियाँ सिलने वाला बादशाह
इतिहासकारों के अनुसार, औरंगज़ेब अपने हाथों से टोपियाँ सिलते थे और उन्हें बेचकर अपनी ज़रूरतों को पूरा करते थे। यह बात सुनकर आप हैरान हो सकते हैं, क्योंकि वह एक सम्राट थे और उनके पास दुनिया भर की संपत्ति थी। लेकिन उनकी सादगी और धार्मिक आस्था ने उन्हें इस काम की ओर प्रेरित किया। मुस्लिम धर्म में टोपी पहनने का धार्मिक महत्व है, और औरंगज़ेब इसे अपनी निजी आस्था से जोड़ते थे। वह अपने निजी खर्चों के लिए राज्य के खजाने का उपयोग नहीं करते थे, बल्कि टोपियाँ बेचकर कमाई करते थे।
शाही जीवन से दूरी
औरंगज़ेब का जीवन सादगी भरा था। वह अपने अंतिम दिनों में धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने में बिताते थे और अपने निजी खर्चों को सीमित रखते थे। उनकी यह आदत उनके शासनकाल में भी देखी गई, जहाँ उन्होंने संगीत और नृत्य पर प्रतिबंध लगाए, लेकिन खुद को सादगी में रखा। उनकी यह सादगी उनके व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं, बल्कि उनके मक़बरे में भी दिखाई देती है।
मक़बरे की सादगी
औरंगज़ेब का मक़बरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है। उनकी इच्छा थी कि उनके मक़बरे में उनकी मेहनत से कमाए गए पैसे ही लगाए जाएँ। उनकी क़ब्र पर सिर्फ़ मिट्टी और एक सफ़ेद चादर है। उनके बेटे आज़म शाह ने उनके मक़बरे का निर्माण कराया, लेकिन औरंगज़ेब ने सादगी की मांग की। उनकी क़ब्र पर एक पौधा लगाया गया है, जो उनकी वसीयत के अनुसार है। यहाँ तक कि उनके मक़बरे के चारों ओर संगमरमर की ग्रिल भी बाद में जोड़ी गई, जो उनके समय में नहीं थी।