इंसाफ मंच समारोह में डाॅक्टर कफील खान ने गोरखपुर हॉस्पिटल त्रासदी पुस्तक का किया विमोचन

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इंसाफ मंच समारोह में डाॅक्टर कफील खान ने गोरखपुर हॉस्पिटल त्रासदी पुस्तक का किया विमोचन

मुजफ्फरपुर: बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल गोरखपुर के निलंबित डाॅक्टर कफ़ील खान की लिखी हुई पुस्तक...


इंसाफ मंच समारोह में डाॅक्टर कफील खान ने गोरखपुर हॉस्पिटल त्रासदी पुस्तक का किया विमोचन

मुजफ्फरपुर: बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल गोरखपुर के निलंबित डाॅक्टर कफ़ील खान की लिखी हुई पुस्तक “गोरखपुर अस्पताल त्रासदी” का विमोचन रविवार को इंसाफ मंच बिहार के उपाध्यक्ष जफर आजम, कामरान रहमानी के नेतृत्व में माड़ीपुर मेन रोड स्थित होटल गोल्ड स्टार में डाॅक्टर कफील खान के द्वारा किया गया।

समारोह में इंसाफ मंच बिहार के राज्य उपाध्यक्ष आफताब आलम, इंसाफ मंच मुजफ्फरपुर के जिलाध्यक्ष फहद जमां, इंसाफ मंच बिहार के राज्य प्रवक्ता असलम रह़मानी, अकबरे आजम सिद्दकी,मोहम्मद एजाज, मोहम्मद शाहनवाज, मोहम्मद मुनीब, आदी मौजूद थे।

जफर आज़म ने डाॅक्टर कफ़ील खान की किताब को वक्त की जरूरत बताते हुए कहा कि इंसाफ मंच डॉक्टर कफ़ील के संघर्ष में साथ थी और साथ रहेगी।

डाॅक्टर कफ़ील खान ने चमकी बुखार के महामारी की चर्चा करते हुए कहा चमकी बुखार के प्रकोप के दौरान बच्चो को मौत की मुहं से बचाने के लिए आयोजित मुफ्त मेडिकल कैम्प के आयोजन के लिए इंसाफ मंच मुजफ्फरपुर समेत मैं सम्पूर्ण बिहार वासियों का शुक्रगुजार हूँ जिनहो ने मेरा साथ दिया उन्होने कहा कि मैने अपनी किताब के विमोचन के लिए मुज़फ़्फ़रपुर का चुनाव इस लिए किया की मुजफ्फरपुर मेरा कर्मभूमि है। उन्होने यह भी कहा कि यही कारण है कि मैने अपनी किताब में इंसाफ मंच बिहार के उपाध्यक्ष जफर आजम और इनकी टीम के योगदान को विस्तार से चर्चा किया है।

डाॅक्टर कफ़ील खान ने अपनी किताब के बारे में बताया की 10 अगस्त 2017 की शाम को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सरकारी बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो गई।

कथित तौर पर अगले दो दिनों में 80 से अधिक रोगियों – 63 बच्चों और 18 वयस्कों- ने अपनी जान गंवा दी। इसी दौरान, कॉलेज के बाल रोग विभाग में सबसे कनिष्ठ व्याख्याता, डॉ कफील खान, ने ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतज़ाम करने, आपातकालीन उपचार करने और कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया ताकि अधिक से अधिक मौतों को रोका जा सकता।

जब त्रासदी की खबर सुर्ख़ियों में आई तब खान को संकट की घड़ी में डटे रहने और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर रोशनी डालने के लिए नायक कहा गया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद, उन्होंने खुद को निलंबित पाया और उनके सहित नौ व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और चिकित्सा लापरवाही सहित अन्य गंभीर आरोपों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई। इसके तुरंत बाद उन्हें सरसरी तौर पर जेल भेज दिया गया।

गोरखपुर अस्पताल त्रासदी कफील खान की अगस्त 2017 वाली उस भयानक रात की घटनाओं और उसके बाद हुई उथल-पुथल की आपबीती है – अनंत निलंबन, आठ महीने की लंबी कैद और न्याय के लिए एक अथक लड़ाई।

उन्होने कहा कि मेरी किताब विमोचन का कार्यक्रम दिल्ली, राजस्थान से शुरू होकर धनबाद और आज मुजफ्फरपुर में आयोजित हुआ आगमी दिनों में 16 जनवरी से 21 जनवरी तक केरला, मुम्बई आदी में भी आयोजित होगा

असलम रह़मानी ने डाॅक्टर कफ़ील खान के हालात को ब्यान करते हुए कहा कि डॉ कफील खान का जन्म गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, में हुआ था। कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल, कर्नाटक से बाल रोग में एमबीबीएस और एमडी पूरा करने के बाद उन्होंने गांगतोक में सिक्किम मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम किया। तत्पश्चात वे एक व्याख्याता के रूप में बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में शामिल हुए। अगस्त 2017 के चिकित्सा संकट के बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल से निलंबन और गोरखपुर जेल से रिहा होने के बाद से, खान अपनी टीम और आम नागरिकों की मदद के साथ, डॉ कफील खान मिशन स्माइल फाउंडेशन के बैनर तले काम कर रहे हैं। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा कानून की मांग के लिए सभी के लिए स्वास्थ्य अभियान भी शुरू किया है और भारत के भीतरी इलाकों में मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए डॉक्टर्स ऑन रोड नाम से एक नई पहल शुरू की है। जनवरी 2020 में, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ भाषण के लिए खान को फिर से गिरफ्तार किया गया और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत आरोपित किया गया; बाद में उन्होंने सात महीने जेल में बिताए। 1 सितंबर 2020 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने NSA के तहत सभी आरोपों को हटा दिया। खान को 9 नवंबर 2021 को बीआरडी मेडिकल कॉलेज द्वारा सेवा से निकाल दिया गया, और अभी दिसंबर 2021 के दौरान उनके खिलाफ निचली अदालतों में मामले चल रहे हैं- भले ही राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा की गई जांच में उनके खिलाफ चिकित्सा लापरवाही या भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं मिला है।