जूनियर इंजीनियर की पदोन्नति को निरस्त करने के आदेश को चुनौती

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जूनियर इंजीनियर की पदोन्नति को निरस्त करने के आदेश को चुनौती


जूनियर इंजीनियर की पदोन्नति को निरस्त करने के आदेश को चुनौती


--हाईकोर्ट ने छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का दिया आदेश

प्रयागराज, 14 मई (हि.स.)। लोक निर्माण विभाग में जूनियर इंजीनियर पद पर हुई पदोन्नति को निरस्त करने वाले 29 अप्रैल के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए लोक निर्माण विभाग से छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने याची कर्मचारियों को प्रत्युतर हलफनामा भी दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही मामले की सुनवाई के लिए 25 जुलाई की तिथि निर्धारित की है।

यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने अमित कुमार व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। मामले में याची की ओर से तर्क दिया गया कि उन्होंने दिल्ली हापुड़ रोड स्थित मोनाद विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया है, जो दूरस्थ शिक्षा के तहत मान्य नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि याचियों ने विभाग के 29 जून 2013 और आठ अगस्त 2013 के आदेश पत्र के माध्यम से शैक्षणिक सत्र 2013-15 और 2012-14 में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। याचियों ने विभाग द्वारा दिए गए आदेश पत्र की कॉपी भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने जो डिप्लोमा हासिल किया है वह दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से नहीं है। लेकिन, उक्त डिप्लोमा विभाग की अनुमति से नियमित रूप से याचिकाकर्ताओं द्वारा प्राप्त किया गया था। कोर्ट ने याचियों के तर्कों को देखते हुए याचिका पर विचार करने की आवश्यकता बताई और मामले में लोक निर्माण विभाग से छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले में लोक निर्माण विभाग द्वारा 29 अप्रैल 2022 को पारित आदेश का प्रभाव यथावत रहेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन