अदालत ने आजम खां की दोषसिद्धि पर रोक लगाने की याचिका खारिज की

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अदालत ने आजम खां की दोषसिद्धि पर रोक लगाने की याचिका खारिज की

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रामपुर (उत्तर प्रदेश) | रामपुर की सांसद/विधायक अदालत ने नफरत फैलाने वाले भाषण मामले में समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद आजम खां की सजा पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी है।

अदालत द्वारा उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार करने का मतलब है कि राज्य विधानसभा से उनकी अयोग्यता जारी रहेगी।आजम खां के वकीलों ने इस आधार पर रोक लगाने का अनुरोध किया कि दोषसिद्धि के पर्याप्त मजबूत कारण नहीं थे।

अभियोजन पक्ष ने दोषसिद्धि के पक्ष में तर्क दिया।

चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि दंडित होने के बाद अयोग्यता स्वत: ही हो जाती है। उन्होंने कहा कि आरपी ऐक्ट- 1951 का वह प्रावधान (8.4) जिसमें अपील करने की स्थिति में अयोग्यता पर रोक लग जाती थी, उच्चतम न्यायालय ने उसे लिलि थामस केस में समाप्त कर दिया है। अधिसूचना पर रोक लगाने पर खां की अयोग्यता नहीं रुकेगी, यह जरूर है कि वह दोषसिद्धि पर रोक लगने पर चुनाव लड़ सकते हैं।

लेकिन अदालत ने यह दलील स्वीकार नहीं कि और कहा कि यदि दोष सिद्धी पर रोक लग जाती है तो इसका अर्थ है कि अयोग्यता पर भी रोक लग गई। पीठ ने कहा कि आयोग चुनाव की अधिसूचना पर तीन दिन की रोक लगाए, जिससे खां को अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगवाने का मौका मिल सके। आप उन्हें मुनासिब समय दें। अन्यथा माना जाएगा कि आप यह चयनित रूप से कर रहे हैं। आपने खतौली सीट पर इतनी जल्दबाजी नहीं दिखाई।

गौरतलब है कि नफरती भाषण मामले में रामपुर की एक विशेष अदालत ने खां को 27 अक्तूबर को दोषी ठहराया था और तीन साल जेल की सजा सुनाई थी। यूपी विधानसभा सचिवालय ने 28 अक्तूबर को खां को सदन से अयोग्य घोषित करने की घोषणा की थी।