यूपी के मुख्य सचिव को एनजीटी का निर्देश- वृक्षारोपण, बागवानी कार्यों पर फोकस करें

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यूपी के मुख्य सचिव को एनजीटी का निर्देश- वृक्षारोपण, बागवानी कार्यों पर फोकस करें

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नई दिल्ली | उत्तर प्रदेश में विकास प्राधिकरणों और स्थानीय निकायों द्वारा वृक्षारोपण और बागवानी कार्यों की अपर्याप्तता के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यूपी के मुख्य सचिव को कानून के अनुसार तीन महीने के भीतर समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने निर्देश दिया है कि देश के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कार्रवाई पर विचार किया जाना चाहिए। वकील और पर्यावरणविद् आकाश वशिष्ठ के अनुसार, वृक्षारोपण और बागवानी की अपर्याप्तता में पाकोर्ं, बगीचों, हरित पट्टियों, मिट्टी परीक्षण, घास और शहर के जंगलों का विकास, नदी-किनारे वृक्षारोपण या जैव विविधता पार्कों का विकास शामिल है।

वशिष्ठ ने कहा कि, मामले को बागवानी नीति की तैयारी/अपडेशन द्वारा हल किया जा सकता है, जिसमें अलग-अलग बागवानी विभाग और प्रासंगिक योग्यता वाले लोग शामिल हो सकते हैं। आंध्र प्रदेश ग्रीनिंग एंड ब्यूटिफिकेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के उद्देश्यों का उल्लेख करते हुए, आवेदक ने यूपी में भी इसे लागू करने की मांग की। इसमें जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए हरियाली के सर्वोत्तम तरीकों को अपनाना, राज्य में नगरपालिका निकायों और अन्य जरूरतमंद संगठनों को हरित आवरण और जलवायु परिवर्तन प्रबंधन सेवाओं का विस्तार करना शामिल है।

याचिका में यह भी बताया गया है कि बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने और वायुमंडलीय कार्बन को अवशोषित करने के लिए हर शहर/कस्बे में एक स्वच्छ और अच्छी तरह से विकसित बागवानी की आवश्यकता है।

याचिका में कहा- सार्वजनिक प्राधिकरणों में बागवानी विभाग गैर-मौजूद था और सिविल इंजीनियरों द्वारा नियंत्रित और पर्यवेक्षण किया गया, जिनके पास बागवानी/वानिकी/पारिस्थितिकी/पर्यावरण/कृषि में कोई ज्ञान, योग्यता या अनुभव नहीं था, याचिका में मनमानी, अनियमितता और अपर्याप्त, बागवानी से संबंधित कार्यों में अनुचित खर्च करने का उल्लेख किया गया है।