अखिलेश यादव का केंद्र पर तीखा प्रहार, 'पाकिस्तान के साथ-साथ चीन से भी करना होगा मुकाबला'

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अखिलेश यादव का केंद्र पर तीखा प्रहार, 'पाकिस्तान के साथ-साथ चीन से भी करना होगा मुकाबला'

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Photo Credit: UPUKLive


समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है। एक ताजा बयान में उन्होंने कहा कि अगर सरकार पाकिस्तान से सवाल पूछती है, तो उसे चीन के साथ भी टक्कर लेने के लिए तैयार रहना होगा। यह बयान न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि आम जनता के बीच भी इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। आइए, जानते हैं कि अखिलेश के इस बयान का क्या मतलब है और इसका राजनीतिक मायने क्या हो सकते हैं।

बयान का संदर्भ: पाहलगाम आतंकी हमला

अखिलेश यादव का यह बयान जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद आया है। इस हमले ने एक बार फिर देश की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। अखिलेश ने केंद्र सरकार की विदेश नीति और सीमा सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए। उनका कहना है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर सख्ती दिखाने के साथ-साथ सरकार को चीन की बढ़ती आक्रामकता पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या वह दोनों मोर्चों पर एक साथ मुकाबला करने के लिए तैयार है?

अखिलेश का तंज: विदेश नीति पर सवाल

अखिलेश यादव ने अपने बयान में केंद्र की विदेश नीति को कटघरे में खड़ा किया। उनका कहना है कि सरकार पाकिस्तान के खिलाफ तो आक्रामक रुख अपनाती है, लेकिन चीन की घुसपैठ और सीमा पर तनाव को लेकर चुप्पी साध लेती है। उन्होंने लद्दाख में चीनी सेना की गतिविधियों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार को केवल एक पड़ोसी पर निशाना साधने के बजाय दोनों देशों की चुनौतियों का सामना करने की रणनीति बनानी चाहिए। यह बयान न केवल सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता है, बल्कि विपक्ष की ओर से एक मजबूत राजनीतिक दबाव को भी दर्शाता है।

जनता की प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया पर चर्चा

अखिलेश के इस बयान ने सोशल मीडिया पर भी खूब सुर्खियां बटोरी हैं। कुछ लोग उनके इस बयान को सटीक और समय के अनुकूल मान रहे हैं, क्योंकि चीन और पाकिस्तान दोनों ही भारत के लिए लंबे समय से चुनौती बने हुए हैं। वहीं, कुछ यूजर्स ने इसे महज राजनीतिक स्टंट करार दिया, जिसमें विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। यह बहस दर्शाती है कि देश की सुरक्षा और विदेश नीति जैसे मुद्दे जनता के बीच कितने संवेदनशील हैं।