शिक्षण व्यवस्था को कोरोना नें डसा, शिक्षकों की कमी, कोढ़ में खाज बनीं!

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शिक्षण व्यवस्था को कोरोना नें डसा, शिक्षकों की कमी, कोढ़ में खाज बनीं!

शिक्षण व्यवस्था को कोरोना नें डसा, शिक्षकों की कमी, कोढ़ में खाज बनीं!


विनोद मिश्रा
बांदा।
जिले की शिक्षा व्यवस्था कोरोना संक्रमण काल ऩे डस लिया हैं। शिक्षकों की कमी कोढ़ में खाज बन गई है। कोरोना संक्रमण में छह महीने विलंब से खुले कॉलेजों में अब कोर्स पूरा कराने की विषम चुनौती है। पिछले माह जिले को मिले 65 नए शिक्षकों के बावजूद जिले में प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों के 357 पद रिक्त हैं। कुल 44 राजकीय कॉलेजों में अध्ययनरत 22000 बच्चों में प्रति 500 में एक अध्यापक नियुक्त है। ऐसे में बच्चों को ट्यूशन और कोचिंग का आश्रय लेना पड़ रहा है।

शिक्षा सत्र का आधा समय निकल जाने पर विभाग ने ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने और कोर्स पूरा कराने की कवायद शुरू की। इसी बीच शासन के आदेश पर अक्तूबर से स्कूल और कॉलेज खुले और विद्यालय गुलजार हुए। अब स्कूल और कॉलेजों में शिक्षकों की कमी आड़े आ रही है।

जिले में 16 राजकीय इंटर कॉलेज और 28 राजकीय हाईस्कूल कॉलेज हैं। इन कॉलेजों में प्रवक्ता के 144 और सहायक अध्यापक के 213 पद रिक्त चल रहे हैं। इनके अलावा प्रधानाचार्य (इंटर) में 15 और हाईस्कूल में 13 पद रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में विद्यालयों में अब कोर्स पूरा कराना किसी चुनौती से कम नहीं है। छात्र-छात्राओं को पढ़ाई का स्तर बनाए रखने के लिए प्राइवेट कोचिंग और ट्यूशन का सहारा लेना पड़ रहा है।

शिक्षक विहीन पांच विद्यालयों को मिले शिक्षक
राजकीय इंटर कॉलेज कालिंजर, राजकीय हाईस्कूल चरका, पखरौली, महुई और रानीपुर अब तक शिक्षक विहीन थे। पिछले माह जिले को मिले 65 नए शिक्षकों में से 2-2 शिक्षकों को इनमें तैनात कराकर विद्यालयों का संचालन शुरू करा दिया गया है।शासन की ओर से जिले को 65 नए शिक्षक मिले हैं। जिससे जिले के 5 शिक्षक विहीन विद्यालयों को संचालित कराया गया है। हालांकि अब भी  44 राजकीय विद्यालयों के लिए 357 प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों की जरूरत है। जिला विद्यालय निरीक्षक विनोद कुमार सिंह का दावा है की समय से कोर्स पूरा कराने के लिए निर्देश दे दिए गए हैं। लेकिन यह निर्देश पूरे होगें इसमें तो संशय है ही।