नोएडा प्राधिकरण के समक्ष किसानों का प्रदर्शन आज, निकालेंगे पैदल मार्च, करेंगे तालाबंदी
नोएडा | अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर किसान नोएडा प्राधिकरण का घेराव करते हुए तालाबंदी करेंगे। किसानों का आरोप है डेढ़ साल पहले 122 दिन के प्रदर्शन में मांगों को लेकर सांसद और विधायक के सामने नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने समझौता कराया था। लेकिन एक भी मांग को पूरा नहीं किया गया। भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर खलीफा ने कहा कि जो समझौता अब तक अधूरा है, उसे पूरा कराकर ही किसान वापस लौटेगा। वे अधिकारियों, सांसद और विधायक के झूठे बहकावे में नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि जिस दिन से नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रितु महेश्वरी बनी है। उस दिन से किसानों के हक में निर्णय नहीं लिए जा रहे हैं। इस वजह से किसानों में भारी आक्रोश है। इसके लिए सुबह से सेक्टर-5 हरौला बारातघर में किसान एकत्रित होंगे। वहां से पैदल मार्च करते हुए किसान नोएडा प्राधिकरण आएंगे। यहां प्रदर्शन और प्राधिकरण की तालाबंदी की जाएगी। प्रदर्शन में 81 गांवों के किसान शामिल होंगे। इस प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस प्रशासन अलर्ट है। प्राधिकरण के चारो ओर बैरिकेड लगाकर किसानों को रोकने की तैयारी है।
किसानों की मांग पर समझौता बनने के लिए कई बिंदु प्राधिकरण के सामने रखे गए थे। इनमें 1997 के बाद के सभी किसानों को बढ़ी दर से मुआवजा दिया जाए। चाहे वह कोर्ट गए हों, या नहीं। किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाए। आबादी जैसी है वैसी छोड़ी जाए। विनियमितीकरण की 450 वर्गमीटर सीमा को बढ़ाकर 1000 प्रति वर्गमीटर किया जाए। भूमि उपलब्धता न होने के कारण पात्र किसानों के 5 प्रतिशत आबादी भूखंड भू लेख विभाग में नहीं रोके जाएंगे। उनका नियोजन किया जाए। भवनों की ऊंचाई को बढ़ाए जाने की अनुमति दी जाए। क्योंकि गांवों के आसपास काफी हाईराइज इमारत है। ऐसे में उनका एरिया लो लेयिंग एरिया में आ गया है। 5 प्रतिशत विकसित भूखंड पर व्यवसायिक गतिविधियां चलने की अनुमति दी जाए। गांवों के विकास के साथ खेल बजट का प्रावधान किया जाए। गांवों में पुस्तकालय बनाए जाए आदि शामिल हैं।
इन मांगों को लेकर पहले भी प्राधिकरण के प्राशासनिक खंड के कार्यालय पर करीब 122 दिन धरना चला था। ये धरना 2021 में किया गया था। सांसद और विधायक के हस्तक्षेप के बाद धरना समाप्त किया गया। इस दौरान किसानों ने भूख हड़ताल के साथ तालाबंदी तक की थी। अब दोबारा से किसान प्रदर्शन के लिए जा रहे हैं। इस जानकारी के बाद प्राधिकरण में हड़कंप है।
किसानों की मांग पर समझौता बनने के लिए कई बिंदु प्राधिकरण के सामने रखे गए थे। इनमें 1997 के बाद के सभी किसानों को बढ़ी दर से मुआवजा दिया जाए। चाहे वह कोर्ट गए हों, या नहीं। किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाए। आबादी जैसी है वैसी छोड़ी जाए। विनियमितीकरण की 450 वर्गमीटर सीमा को बढ़ाकर 1000 प्रति वर्गमीटर किया जाए। भूमि उपलब्धता न होने के कारण पात्र किसानों के 5 प्रतिशत आबादी भूखंड भू लेख विभाग में नहीं रोके जाएंगे। उनका नियोजन किया जाए। भवनों की ऊंचाई को बढ़ाए जाने की अनुमति दी जाए। क्योंकि गांवों के आसपास काफी हाईराइज इमारत है। ऐसे में उनका एरिया लो लेयिंग एरिया में आ गया है। 5 प्रतिशत विकसित भूखंड पर व्यवसायिक गतिविधियां चलने की अनुमति दी जाए। गांवों के विकास के साथ खेल बजट का प्रावधान किया जाए। गांवों में पुस्तकालय बनाए जाए आदि शामिल हैं।
इन मांगों को लेकर पहले भी प्राधिकरण के प्राशासनिक खंड के कार्यालय पर करीब 122 दिन धरना चला था। ये धरना 2021 में किया गया था। सांसद और विधायक के हस्तक्षेप के बाद धरना समाप्त किया गया। इस दौरान किसानों ने भूख हड़ताल के साथ तालाबंदी तक की थी। अब दोबारा से किसान प्रदर्शन के लिए जा रहे हैं। इस जानकारी के बाद प्राधिकरण में हड़कंप है।