होटल में बॉयफ्रेंड के साथ गई लड़की, फिर मां ने क्यों दर्ज करवाई गैंगरेप की FIR?

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होटल में बॉयफ्रेंड के साथ गई लड़की, फिर मां ने क्यों दर्ज करवाई गैंगरेप की FIR?

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Photo Credit: AI


उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक कथित गैंगरेप केस ने पूरे इलाके में हलचल मचा दी थी, लेकिन अब इस मामले में पुलिस की जाँच ने एक नया मोड़ ला दिया है। 28 फरवरी को एक लड़की की माँ ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी बेटी के साथ सात लोगों ने मिलकर गैंगरेप किया। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। लेकिन जाँच के बाद जो सच्चाई सामने आई, उसने सभी को हैरान कर दिया। आइए, इस मामले की पूरी कहानी को समझते हैं।

माँ की शिकायत और शुरूआती कार्रवाई

लड़की की माँ ने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी खेत पर उनसे मिलने आ रही थी, जब रास्ते में सात लोगों ने उसका अपहरण कर लिया। माँ के अनुसार, आरोपियों ने उनकी बेटी को राप्ती नदी के किनारे ले जाकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया, जिसके बाद वह बेहोश हो गई। इस शिकायत में माँ ने लड़की के प्रेमी शिवम, तौहिद खान, रंजित, एक नाबालिग और तीन अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाए। शिकायत मिलते ही पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और चार आरोपियों को हिरासत में ले लिया। गाँव वालों ने भी दो आरोपियों, शिवम और पंकज, को पकड़कर उनकी पिटाई की थी। इस मामले ने स्थानीय समुदाय में गुस्सा और आक्रोश फैला दिया।

जाँच में सामने आई सच्चाई

पुलिस ने इस मामले की गहराई से जाँच शुरू की और कई सीसीटीवी फुटेज की पड़ताल की। जाँच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि लड़की अपने प्रेमी शिवम के साथ स्वेच्छा से बाइक पर बैठकर एक होटल गई थी। फुटेज में साफ दिखा कि वह शिवम के साथ होटल में रुकी थी। इसके अलावा, पुलिस ने अन्य आरोपियों के लोकेशन की जाँच की, जिसमें पता चला कि वे घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे। इस आधार पर पुलिस ने गैंगरेप के आरोप को खारिज कर दिया और मामले को सामान्य दुष्कर्म के तहत दर्ज किया। साथ ही, तीन आरोपियों को निर्दोष मानते हुए उनके नाम केस से हटा दिए गए। अब केवल लड़की के प्रेमी शिवम पर दुष्कर्म का मुकदमा चलेगा।

पुलिस की कार्रवाई और सबक

इस मामले ने पुलिस की त्वरित कार्रवाई और गहन जाँच की मिसाल पेश की है। शुरूआती शिकायत के आधार पर पुलिस ने तुरंत कदम उठाए, लेकिन सच्चाई सामने लाने के लिए सीसीटीवी और लोकेशन डेटा का सहारा लिया। यह घटना समाज के लिए भी एक सबक है कि जल्दबाजी में किसी पर आरोप लगाने से पहले पूरी सच्चाई जानना जरूरी है। इस केस ने यह भी दिखाया कि तकनीक और साक्ष्यों का सही इस्तेमाल किस तरह गलत आरोपों को हटाकर न्याय सुनिश्चित कर सकता है।