बांदा में गुरू गोविंद सिंह जयंती : सबद कीर्तन से गूंजा गुरुद्वारा
विनोद मिश्रा
बांदा। सिखों के 10 वें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह की 356 वीं जयंती गुरुद्वारे में धूमधाम से मनाई गई। मुख्यालय के स्टेशन रोड स्थित सिंधी गुरुद्वारे में आयोजित जयंती उत्सव की शुरूआत सुबह शबद-कीर्तन से हुई। रागी जथो ने गुरुवाणी की। गुरु ग्रंथ साहिब पाठ का समापन हुआ। श्रद्धालुओं ने उस पर रूमाला अर्पित किया। आरती और आनंद साहब के पाठों से गुरुद्वारा गुंजायमान रहा।
मुख्य ग्रंथी ने कहा कि गुरु गोविंद का जन्म पौष (पूस) माह की सप्तमी पर बिहार के पटना में 2 जनवरी 1666 में हुआ था। उनके पिता गुरु तेग बहादुर और मां गुजरी कौर थीं। गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की। उनके जन्मदिन को प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
उन्होंने ही गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया। गुरु गोविंद ने ही सवा लाख से एक लड़ाऊं, तब गोविंद सिंह नाम कहाऊं नारा दिया था। सवा लाख जंगी पहलवानों से अकेले युद्ध कर उन्हें परास्त किया। गुरुद्वारे में अरदास भी की गई। देश की एकता, अखंडता, प्रेम और भाईचारा की कामना की गई। पूड़ी-सब्जी, मिठाई बंटी। ऊधम मूलचंदानी, श्याम अरेजा, नूतनलाल, जियंद राय, श्याम जेठानी, सुनील भागवानी भी शामिल रहे।