ओमिक्रान तीसरी लहर का ललकार : थर्राये अस्पताल बिना सैनिक कैसे लड़े युद्ध!
विनोद मिश्रा
बांदा। जिले में कोरोना की तीसरी लहर नें अपने "महाभारत" रूपी "कहर का शंखनाद " कर दिया हैं। इससे स्वास्थ सेवाएं भय से "थर्रा" रहीं हैं। इस युद्ध से निपटने के लियें स्वास्थ विभाग में "सेना" की कमी हैं। चिकित्सालयो में डाक्टर से लेकर स्वीपर तक पूरे नहीं हैं। "तीसरी लहर" इस कमी को देख "सुरसाराक्षसी" के वेग की तरह अपना शिकार बनाने को हलचल शुरु सी कर दी हैं।सरकारी आकड़ों में 13 लोग कोरोना पॉजिटिव है।
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के भले ही स्वास्थ्य विभाग तैयारी पूरी होने का दावा कर रहा है, पर असलियत कुछ और है। राजकीय मेडिकल कालेज और सीएचसी के अलावा जिला अस्पताल में भी स्टाफ का भारी टोटा है। 200 बेड के मंडलीय अस्पताल में बच्चों के लिए 78 और वयस्कों के लिए 59 बेड के आईसीयू/आइसोलेशन हैं। लेकिन पैरामेडिकल और स्वीपर के अधिकांश पद खाली हैं। स्वीकृत पदों के सापेक्ष मात्र 12 फीसदी स्वास्थ्य कर्मी ही कार्यरत हैं।
जिला अस्पताल परिसर में ही मंडलीय चिकित्सालय है। कोरोना की चपेट में आने वाले बच्चों के लिए यहां 78 बेड का पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट बनाया गया है। इनमें आईसीयू में 11, हाई डिपेंडेंसी यूनिटमें 32 और आइसोलेशन वार्ड में 35 बेड आरक्षित हैं। वयस्कों के लिए आरक्षित वार्डों में आईसीयू और ओमिक्रॉन में 10-10 बेड हैं। 39 बेड का आइसोलेशन वार्ड अलग है।
कोविड से निपटने की इन सारी तैयारियों पर स्टाफ की कमी पानी फेर रही है। अस्पताल प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक पैरामेडिकल स्टाफ के 40 पदों में मात्र 5 भरे हैं। स्वीपर के सभी 10 पद खाली हैं। इसके अलावा फार्मासिस्ट के 4 में 3, वार्ड ब्वाय के 10 में 8, वार्ड आया के 10 में 9 और स्टाफ नर्स के 6 में 5 पद रिक्त हैं। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा.एसएन मिश्र ने बताया कि कोरोना के मद्देनजर स्टाफ बढ़ाने के लिए शासन से मांग की गई है।
दूसरी ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम की भारी कमी हैं। उप स्वाथ्य केंद्रों में तीन एएनएम के सापेक्ष एक एएनएम से काम लिया जा रहा हैं। नरैनी सामुदायिक स्वास्थ केंद्र का उप स्वास्थ केंद्र पुकारी इस लचर व्यवस्था का महत्वपूर्ण उदाहरण है।
बांदा। जिले में कोरोना की तीसरी लहर नें अपने "महाभारत" रूपी "कहर का शंखनाद " कर दिया हैं। इससे स्वास्थ सेवाएं भय से "थर्रा" रहीं हैं। इस युद्ध से निपटने के लियें स्वास्थ विभाग में "सेना" की कमी हैं। चिकित्सालयो में डाक्टर से लेकर स्वीपर तक पूरे नहीं हैं। "तीसरी लहर" इस कमी को देख "सुरसाराक्षसी" के वेग की तरह अपना शिकार बनाने को हलचल शुरु सी कर दी हैं।सरकारी आकड़ों में 13 लोग कोरोना पॉजिटिव है।
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के भले ही स्वास्थ्य विभाग तैयारी पूरी होने का दावा कर रहा है, पर असलियत कुछ और है। राजकीय मेडिकल कालेज और सीएचसी के अलावा जिला अस्पताल में भी स्टाफ का भारी टोटा है। 200 बेड के मंडलीय अस्पताल में बच्चों के लिए 78 और वयस्कों के लिए 59 बेड के आईसीयू/आइसोलेशन हैं। लेकिन पैरामेडिकल और स्वीपर के अधिकांश पद खाली हैं। स्वीकृत पदों के सापेक्ष मात्र 12 फीसदी स्वास्थ्य कर्मी ही कार्यरत हैं।
जिला अस्पताल परिसर में ही मंडलीय चिकित्सालय है। कोरोना की चपेट में आने वाले बच्चों के लिए यहां 78 बेड का पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट बनाया गया है। इनमें आईसीयू में 11, हाई डिपेंडेंसी यूनिटमें 32 और आइसोलेशन वार्ड में 35 बेड आरक्षित हैं। वयस्कों के लिए आरक्षित वार्डों में आईसीयू और ओमिक्रॉन में 10-10 बेड हैं। 39 बेड का आइसोलेशन वार्ड अलग है।
कोविड से निपटने की इन सारी तैयारियों पर स्टाफ की कमी पानी फेर रही है। अस्पताल प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक पैरामेडिकल स्टाफ के 40 पदों में मात्र 5 भरे हैं। स्वीपर के सभी 10 पद खाली हैं। इसके अलावा फार्मासिस्ट के 4 में 3, वार्ड ब्वाय के 10 में 8, वार्ड आया के 10 में 9 और स्टाफ नर्स के 6 में 5 पद रिक्त हैं। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा.एसएन मिश्र ने बताया कि कोरोना के मद्देनजर स्टाफ बढ़ाने के लिए शासन से मांग की गई है।
दूसरी ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम की भारी कमी हैं। उप स्वाथ्य केंद्रों में तीन एएनएम के सापेक्ष एक एएनएम से काम लिया जा रहा हैं। नरैनी सामुदायिक स्वास्थ केंद्र का उप स्वास्थ केंद्र पुकारी इस लचर व्यवस्था का महत्वपूर्ण उदाहरण है।