यूपी में और गहराया बिजली संकट, गांवों में भारी कटौती

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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यूपी में और गहराया बिजली संकट, गांवों में भारी कटौती

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लखनऊ। त्योहारी सीजन के बीच कोयले की किल्लत के चलते प्रदेश में बिजली संकट और गहराया गया है। मांग के मुकाबले उपलब्धता कम होने से गांवों में भारी बिजली कटौती हो रही है। तहसील मुख्यालयों और बुंदेलखंड को भी तय शिड्यूल से कम आपूर्ति हो रही है। बिजलीघरों में कोयले का भंडार काफी कम बचा है। कोयले की आपूर्ति जल्द ही सामान्य न हुई तो पूरा प्रदेश बिजली संकट की चपेट में आ सकता है। स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय कोयला मंत्री को पत्र भेजकर यूपी को अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराने और कोयले की आपूर्ति सामान्य कराने का अनुरोध किया है।

यूपी में बिजली व्यवस्था का दारोमदार राज्य के अपने चार बिजलीघरों के अलावा निजी क्षेत्र के आठ और एनटीपीसी के करीब डेढ़ दर्जन बिजलीघरों से मिलने वाली बिजली पर है। कोयले की कमी से लगभग 6873 मेगावाट क्षमता की इकाइयां या तो बंद हुई हैं या उनके उत्पादन में कमी करनी पड़ी है। इससे प्रदेश में बिजली की उपलब्धता घट गई है।

गांवों में 11 घंटे बिजली, हालात न सुधरे तो शहरों में भी कटौती तय

यूपी में बिजली की मांग 17000 मेगावाट के आसपास बनी हुई है, जबकि उपलब्धता 15000-16000 मेगावाट ही है। ऐसे में 2000 मेगावाट तक की कटौती करनी पड़ रही है। इसके चलते गांवों को 18 घंटे के बजाय 11 घंटे, तहसीलों को 21.30 घंटे के बजाय करीब 17 घंटे और बुंदेलखंड को 20 घंटे के बजाय करीब 14 घंटे ही आपूर्ति हो पा रही है। अलबत्ता कुछ जिलों में भी अघोषित कटौती हो रही है। अभियंताओं का कहना है कि अगर यही हालात रहे तो जल्द ही शहरों में भी कटौती शुरू हो सकती है।

एनर्जी एक्सचेंज में 21 रुपये पहुंची कीमत, बिजली खरीदने में छूट रहे पसीने

वित्तीय संकट से जूझ रहे पावर कॉर्पोरेशन को अतिरिक्त बिजली का इंतजाम करने में पसीने छूट रहे हैं। बिजली संकट पूरे देश में होने के कारण एनर्जी एक्सचेंज में बिजली की कीमत नौ रुपये से 21 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गई है। इतनी महंगी बिजली खरीदना प्रदेश की बिजली कंपनियों के लिए मुश्किल हो रहा है, इसलिए कटौती शुरू की गई है।
कोयले की कहां-कैसी स्थिति
राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अधिकारियों का कहना है कि हरदुआगंज व पारीछा में कोयले का स्टॉक लगभग समाप्त हो गया है। अनपरा में दो और ओबरा में ढाई दिन का कोयला शेष बचा है।
कोयले का स्टॉक व रोजाना की जरूरत
बिजली घर         स्टॉक        जरूरत
हरदुआगंज         4022       8000
पारीछा              9682      15000
अनपरा             86426     40000
ओबरा              42433     16000
(आंकड़े मीट्रिक टन में; अनपरा से मिली जानकारी के अनुसार, इकाइयों को कम क्षमता पर चलाने की वजह से परिचालन में कोयले और ईंधन की खपत बढ़ गई है। इससे परियोजनाओं पर दोहरी मार पड़ रही है।)

समस्या के जल्द निदान की उम्मीद
सरकार तय शिड्यूल के अनुसार बिजली आपूर्ति के लिए प्रयासरत है। ऊर्जा विभाग के अधिकारी केंद्रीय कोयला एवं ऊर्जा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के लगातार संपर्क में हैं। पावर कॉर्पोरेशन को एनर्जी एक्सचेंज समेत अन्य स्रोतों से बिजली की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। कोयले की समस्या का जल्द निदान होने की उम्मीद है।’

श्रीकांत शर्मा, ऊर्जा मंत्री
इसलिए है संकट…
लॉकडाउन खुलने और अर्थव्यवस्था में सुधार होते ही देश में सभी क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ा है। जिससे बिजली की मांग तेजी से बढ़ी है।
सितंबर में अधिक बारिश होने से खदानों में पानी भरने के कारण भी कोयले का उत्पादन कम हुआ है। मानसून से पहले कोयले का पर्याप्त स्टाक भी नहीं किया गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि विदेश से आने वाले कोयले की कीमतों में अंतरराष्ट्रीय वृद्धि ने भी मुश्किलें बढ़ाई हैं। भारत में अमेरिका और इंडोनेशिया से कोयला आता है।
देश में सिर्फ तीन दिन का कोयला बचा, ग्रिड फेल होने का संकट
नई दिल्ली। देश के बिजली संयंत्रों में सिर्फ तीन दिन का कोयला बचने से ग्रिड फेल होने संकट बढ़ गया है। ऊर्जा मंत्रालय से शनिवार को उच्चस्तरीय बैठक में पावर ग्रिड को बचाने की रणनीति बनाने के साथ कोयला मंत्रालय को भी कड़े कदम उठाने के सुझाव दिए हैं।