ठाकुरद्वारा: नशे की गिरफ्त में शहर का 'भविष्य', चोरी की वारदातों में लगे नशेड़ी युवा

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ठाकुरद्वारा: नशे की गिरफ्त में शहर का 'भविष्य', चोरी की वारदातों में लगे नशेड़ी युवा

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यामीन विकट
ठाकुरद्वारा।
नगर में पिछले लम्बे अरसे से नशे का कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है। हालात ये हैं कि नगर के हज़ारों युवा और किशोर इसके आदी हो चुके हैं नशे की लत में पड़कर अपने और अपने परिवार की ज़िंदगी को तबाह करने वाले इन नशेड़ियों के परिजनों में से कई ने इन नशेडियों को नशामुक्ति केंद्र भी भिजवा दिया है। इन्ही में से एक परिवार का युवक मैनाठेर थाना क्षेत्र के एक नशामुक्ति केंद्र में संदिग्ध परिस्थितियों में मारा जा चुका है लेकिन नशे का ये कारोबार आज भी बदस्तूर जारी है।

अगर बात कोतवाली पुलिस की करें तो ये कहना गलत नहीं होगा कि पुलिस इस मामले में पूरी तरह से नाकाम है। इसका मुख्य कारण ये है कि जब भी कोतवाली पुलिस किसी नशेड़ी को पकड़ती है तो पुलिस कस्टडी में ही उसे नशे की ऐसी तलब लगती है कि पकड़ा गया नशेड़ी पुलिस के लिए मुसीबत बन जाता है और पुलिस इसलिए डर जाती है कि कहीं नशेड़ी उनकी कस्टडी में ही मर गया तो क्या होगा बस इसी के चलते उसे छोड़ दिया जाता है कोतवाली पुलिस को चाहिए कि कोई भी तरीका अपनाकर नशेड़ी नही बल्कि नशे के सौदागरों को पकड़ा जाए। 

समय समय पर अनेक सामाजिक संगठनों द्वारा नशे के कारोबार को बंद करने के लिए आवाज़ उठाई जाती रही हैं लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। 

नगर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र पांडे का कहना है कि सूखे नशे का कारोबार नगर में चरम पर है और नगर की कोई गली मोहल्ला इससे अछूता नहीं है उनका कहना है कि नशे की चपेट में आकर नशे के आदी हुए युवा तलब पूरी करने के लिए छोटी मोटी चोरियां तक करने से गुरेज नहीं करते हैं उन्होंने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व कोतवाली पुलिस से भी इस कारोबार पर अंकुश लगाने की मांग की है। देखना होगा कि नशे के इस कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए स्थानीय प्रशासन कोई कदम उठाता है या फिर युवाओं और किशोरों की ज़िंदगी ऐसे ही बर्बाद होती रहेगी।